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RCF में ठेकाकर्मी की करंट से मौत के बाद RCFEU ने प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप ...

- प्रशासन और ठेकेदार की मिलीभगत से हो रहा है कर्मचारियों की जान से खिलवाड़ -- सर्वजीत सिंह  

खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला   

रेल कोच फैक्ट्री की फर्निशिंग शॉप में ठेकेदारी प्रथा के तहत कार्यरत 21 वर्षीय युवा कर्मी दलेर सिंह की मृत्यु ने RCF में सुरक्षा मानदंडों की अनदेखी और ठेका कर्मचारियों के शोषण की गंभीर स्थिति को उजागर कर दिया है। परिजनों के बयान के अनुसार, दलेर सिंह की मृत्यु करंट लगने की वजह से हुई है।  

परिजनों के बयान के अनुसार, दलेर सिंह अप्रैल माह से ठेकेदारी सिस्टम के तहत कार्य कर रहा था। हैरानी की बात यह है कि पिछले कई महीनों से कार्यरत होने के बावजूद उसकी मासिक ईएसआई (ESI) या पीएफ (PF) जैसी कोई भी कानूनी कटौती नहीं हुई थी, जो उसके और उसके परिवार के साथ हो रहे आर्थिक शोषण को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। हर्षित प्रशासन और ठेकेदारों की मिलीभगत से ठेकेदारों की लेबर का भारी आर्थिक शोषण का सिस्टम लगातार चल रहा है।

RCFEU इन गंभीर मामलों को लगातार और बार-बार प्रशासन के समक्ष उठाती रही है। हमने कई बार लिखित एवं मौखिक वार्ता में प्रशासन के समक्ष सुरक्षा के गंभीर मामले उठाए हैं और प्रेस के माध्यम से भी इन मामलों को उजागर किया है, लेकिन प्रशासन का इन बातों की तरफ कोई ध्यान नहीं है।

यूनियन के महासचिव सर्वजीत सिंह ने इस घटना पर गंभीर रोष व्यक्त करते हुए कहा कि, "सुरक्षा के नाम पर पूरी वर्कशॉप में कर्मचारियों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। सेफ्टी की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जब सरकारी कर्मचारियों की सुरक्षा की अनदेखी प्रशासन लंबे समय से कर रहा है तो ऐसे में ठेकेदारी सिस्टम के अधीन कार्यरत कर्मचारियों के हालात आप सोच ही सकते हैं क्या होंगे।"

उन्होंने आगे कहा कि प्रशासन सिर्फ 3000 कोच के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के पीछे इन मामलों की सरेआम लगातार अनदेखी कर रहा है। कर्मचारियों की जान उसके लिए कोई मायने नहीं रखती। यूनियन ने सीधे तौर पर प्रशासन और ठेकेदारों की मिलीभगत का नतीजा बताया है, जिससे एक नौजवान की जान चली गई।

यूनियन द्वारा प्रशासन से इस दुखद घटना की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच के साथ-साथ पीड़ित परिवार को जल्द से जल्द मुआवजा देने की मांग जोरदार तरीके से उठाई गई है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अपेक्षा रखती है। यह घटना साबित करती है कि जब तक ठेकेदारी सिस्टम खत्म नहीं होता और सुरक्षा मानदंडों को सख्ती से लागू नहीं किया जाता, तब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे। 

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