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श्री गणेश जी का पर्व का शुभारम्भ ---- चतुर्थी तिथि को गणपति जी का आगमन ...

चतुर्थी तिथि 27 अगस्त को सुबह 11 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक गणेश जी की स्थापाना का अभिजीत मुहूर्त  

खबरनामा इंडिया ब्यूरो। पंजाब     

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी के पावन पर्व का शुभारम्भ होता है। इस दिन भक्त श्री गणेश जी की प्रतिमा अपने घर लेकर विराजमान करते है। और अनंत चतुर्दशी को गणेश जी के विसर्जन के साथ ही उत्सव सम्पन्न होता है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी 27 अगस्त को है।  

इस बात की जानकारी पंडित घनश्याम पांडे ने देते हुए बताया कि वैसे तो चतुर्थी तिथि 26 अगस्त को दोपहर 1.53 पर शुरू होगी। और 27 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 43 मिनट समापन होगी। पंडित घनश्याम पांडे ने बताया कि गणपति भगवान की विधि विधान से की गई पूजा अर्चना से हर भक्त की मनोकामना संपूर्ण होती है। इस बार गणेश चतुर्थी पर श्री गणेश प्रतिमा की स्थापना के शुभ मुहूर्त 27 अगस्त को सुबह 11.00 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक गणेश जी की स्थापाना का अभिजीत मुहूर्त है। यह बिल्कुल शुभ और लाभदायक है।   

उन्होंने कहा कि गणेश उत्सव में विघ्नविनाशक गणपति के सिर्फ तीन मंत्र का जाप करने से ही पुण्य मिलता है। सुबह नहाने के बाद गणेश जी के मंत्रों को पढ़कर प्रणाम करके ऑफिस, दुकान या किसी भी अन्य काम के लिए निकलना चाहिए।  

ज्योतिष आचार्य ने बताया कि गणपति भगवान को विघ्न विनाशक भी कहा जाता है इसलिए उनका आस्था और विधि विधान से किया पूजन तथा मंत्रों के जाप से सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।  

- पढ़ें गणेश जी के मंत्र .....   

1. वक्रतुण्ड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा 

2. ॐ एकदन्ताय विद्धमहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ति प्रचोदयात् 

3. ॐ लम्बोदराय नमः 

4. ऊँ गं गणपतये नम: 

5. ऊँ श्री गणेशाय नम: 

6. ऊँ नमो भगवते गजाननाय 

ऊँ वक्रतुण्डाय हुम् 

7. ॐ नमो सिद्धि विनायकाय सर्व कार्य कर्त्रे सर्व विघ्न प्रशमनाय सर्व राज्य वश्यकरणाय सर्वजन सर्वस्त्री पुरुष आकर्षणाय श्रीं ॐ स्वाहा ॥

8. ऊँ हीं श्रीं क्लीं गौं ग: श्रीन्महागणधिपतये नम:। ऊँ । 

9. हीं श्रीं क्लीं गौं वरमूर्र्तये नम: । 

ऊँ गं गणपतये नम:। 

10. हीं श्रीं क्लीं नमो भगवते गजाननाय । 

ऊँ वक्रतुण्डाय हुम् । 

11.ॐ विघ्ननाशाय नमः 

12. ॐ सुमुखाय नमः 

13. ॐ गजकर्णकाय नमः 

14. ॐ विनायकाय नमः 

15. ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥ 

16. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥ एकदन्ताय विद्महे । वक्रतुण्डाय धीमहि । तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ 

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