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नए श्रम कानून कोड के गंभीर दुष्परिणाम --- RCF कर्मिओ को डाॅ केसर भंगू ने किया जागरूक ,....

- अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होने का किया आह्वान  

खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला    

रेल कोच फैक्टरी कपूरथला के वर्कर क्लब में आज RCFEU द्वारा केंद्र सरकार के चार नए श्रम कानून कोड के गंभीर प्रभावों पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार का मुख्य उद्देश्य फैक्टरी कर्मचारियों को इन कोडों के संभावित दुष्परिणामों और देश के कर्मचारियों, किसानों तथा मजदूरों पर पड़ने वाले दूरगामी प्रभावों के बारे में सचेत करना था।  

यूनियन के प्रधान अमरीक सिंह ने अपनी बात रखते हुए सरकार की नई श्रम नीति की कड़ी आलोचना की। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इन श्रम संहिताओं के माध्यम से सरकार कर्मचारियों और मजदूरों के उन मेहनत से हासिल किए गए अधिकारों को छीन रही है जो दशकों के संघर्ष, अनगिनत कुर्बानियों और आंदोलनों के फलस्वरूप प्राप्त हुए थे।  

अमरीक सिंह ने भावुकता से कहा कि "हम सभी को याद रखना होगा कि यह हक और अधिकार किसी की खैरात नहीं, बल्कि हमारे पूर्वज मजदूरों और कर्मचारियों की कुर्बानी देकर हासिल की गई अनमोल विरासत है। यूनियन इस विरासत को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।" उन्होंने RCF के प्रत्येक कर्मचारी से इन छिपे हुए खतरों को समझने और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। 

इस सेमिनार में पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के पूर्व प्रोफेसर और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ. केसर सिंह भंगू ने मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया। डॉ. भंगू ने RCF कर्मचारियों के समक्ष इन कोड के विभिन्न प्रावधानों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया। उन्होंने विस्तार से कहा कि इन कानूनों का उद्देश्य भले ही 'ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस' को बढ़ावा देना हो, लेकिन यह व्यवहार में श्रमिकों के लिए 'ईज ऑफ एक्सप्लॉयटेशन' को बढ़ा सकते हैं।  

​डॉ. भंगू ने अपने संबोधन में श्रम कोड के मुख्य दुष्परिणामों को विस्तार से रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि यह कोड कंपनियों को कार्य के घंटों को बढ़ाने और ओवरटाइम की गणना के नियमों में बदलाव की अधिक स्वतंत्रता दे सकते हैं। जिससे कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ेगा और उनकी सामाजिक सुरक्षा के लाभ (जैसे ग्रेच्युटी) पर नकारात्मक असर पड़ेगा। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बड़ी कंपनियों के लिए कर्मचारियों की छंटनी और प्रतिष्ठान को बंद करना पहले से कहीं अधिक आसान हो जाएगा, जिससे कर्मचारियों की रोजगार सुरक्षा लगभग समाप्त हो जाएगी। इसके अतिरिक्त इन कोड से ठेका श्रम को बढ़ावा मिलेगा, जिसके कारण स्थायी रोज़गार कम होंगे और श्रमिकों को मिलने वाले लाभ भी घट जाएंगे। 

​डॉ. भंगू ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह श्रम कोड ट्रेड यूनियनों को संगठित होने और सामूहिक सौदेबाजी करने की शक्ति को गंभीर रूप से कमजोर कर सकते हैं। जिससे कार्यस्थल पर कर्मचारियों की आवाज़ दबा दी जाएगी। और इन कोड का असर केवल औद्योगिक श्रमिकों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि औद्योगिक पूंजीपतियों को और अधिक शक्ति देकर यह कृषि और औद्योगिक क्षेत्र के बीच संतुलन को बिगाड़ सकते हैं। जिसका अप्रत्यक्ष बोझ किसानों और छोटे उद्योगों पर भी पड़ेगा।  

उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि श्रमिकों के अधिकारों और सुरक्षा में कमी आने से आय असमानता बढ़ेगी और जीवन-यापन की लागत के सापेक्ष आय कम होने के कारण व्यापक गरीबी और बढ़ सकती है। डॉ. भंगू ने RCF के कर्मचारियों से इन जन-विरोधी कानूनों के प्रभावों को समझने और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सभी मजदूर, किसान और कर्मचारी संगठनों को एकजुट होकर सामूहिक विरोध करने का आह्वान किया। 

इस मौके पर RCF के अलग-अलग एसोसिएशन के पदाधिकारी अपने-अपने टीम के साथ शामिल हुए। RCFEU ने सेमिनार के सफल आयोजन पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि वह कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए भविष्य में भी ऐसे जागरूकता अभियान जारी रखेंगे। 

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