MLA खैहरा ने EC दवारा की गई कार्यवाही की आलोचना ...
- MLA बोले -- ARO को देर से हटाने के कारण, 6 कांग्रेस उम्मीदवारों के पेपर हुए रिजेक्ट
खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला
कपूरथला की सब डिवीज़न भुलत्थ से MLA सुखपाल सिंह खैहरा ने ARO से जुड़ी उनकी शिकायत पर कार्रवाई करते हुए ARO भुलत्थ को ड्यूटी से हटाने में कथित तौर पर बड़ी लापरवाही, एडमिनिस्ट्रेटिव बेईमानी और जानबूझकर की गई देरी के लिए स्टेट इलेक्शन कमीशन (SEC) की कड़ी निंदा की है।
खैहरा ने कहा कि हालांकि इलेक्शन कमीशन ने 10 दिसंबर, 2025 को एक ऑर्डर जारी करके 2025 ब्लॉक समिति चुनावों के संबंध में रणदीप वड़ैच, EO-कम-ARO भुलत्थ को ड्यूटी से हटा दिया था, लेकिन यह कार्रवाई बहुत देर से की गई, जिसकी वजह से गलत कार्रवाई को रोका नहीं जा सका। उन्होंने साफ किया कि मुख्य समस्या इलेक्शन कमीशन की बेवजह की देरी और टालमटोल वाली कार्रवाई है।
ARO के स्क्रूटनी प्रोसेस पूरा करने के बाद ही हटाने का ऑर्डर जारी करके, SEC ने एक दागी अधिकारी को छह कांग्रेस उम्मीदवारों के नॉमिनेशन पेपर कैंसिल करने की पूरी छूट दे दी है।
खैरा ने कहा कि “ARO रणदीप वड़ैच का 10.12.2025 को जारी किया गया हटाने का ऑर्डर एक शरारती और देर से उठाया गया कदम है। क्योंकि 6 कांग्रेस उम्मीदवारों के पेपर कैंसिल करने का इसका मुख्य मकसद पहले ही पूरा हो चुका था। जबकि इलेक्शन कमीशन को 10 दिन पहले की गई शिकायत के दिन ही तुरंत एक्शन लेना चाहिए था। खासकर तब जब इस ARO को लुधियाना वेस्ट असेंबली उपचुनाव के दौरान इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया पहले ही दोषी पा चुका है।
MLA खैहरा ने कहा कि इस देरी ने इलेक्शन प्रोसेस पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं और एडमिनिस्ट्रेटिव मिलीभगत या जानबूझकर की गई लापरवाही के शक को साबित किया है।
खैहरा ने SEC से तुरंत सफाई मांगी ---
1. दागी ARO के खिलाफ शिकायत के बावजूद तुरंत एक्शन क्यों नहीं लिया गया?
2. छह कांग्रेस उम्मीदवारों के पेपर रिजेक्ट होने के बाद ही हटाने का ऑर्डर क्यों जारी किया गया?
3. क्या यह देरी जानबूझकर और पॉलिटिक्स से मोटिवेटेड थी?
वहीँ खैहरा ने यह भी आरोप लगाया कि SEC ने भुलत्थ के SHO और दूसरे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कम से कम पांच शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया। जिन्होंने न सिर्फ कांग्रेस उम्मीदवारों के खिलाफ झूठे केस दर्ज किए, बल्कि उन्हें गिरफ्तार करके और डराकर वोटरों में डर पैदा करने की भी कोशिश की थी, जो फिर से SEC की नाकाबिलियत को साबित करता है। खैहरा ने यह भी कहा कि SEC का यह व्यवहार एडमिनिस्ट्रेटिव लापरवाही, गैर-पारदर्शिता और लोकतांत्रिक नियमों पर सीधा हमला है।



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