रेलवे में आउटसोर्सिंग, निजीकरण से देश की सुरक्षा को खतरा -- IREF
- जब फौजी ही सुरक्षित नहीं, तो आमजन के क्या हालात होंगे
खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला
इंडियन रेलवे एम्पलाइज फेडरेशन (IREF) जम्मूतवी एक्सप्रेस के स्लीपर कोच में ठेका कर्मचारियों द्वारा सैन्य जवान जिगर कुमार की नृशंस हत्या पर गहरा आक्रोश व्यक्त करता है। IREF ने इस जघन्य घटना के लिए रेलवे बोर्ड की अदूरदर्शी निजीकरण, ठेकेदारी प्रथा और अंधाधुंध आउटसोर्सिंग की नीतियों को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है।
रेलवे बोर्ड लंबे समय से यात्री सुरक्षा और संरक्षा से जुड़ी कोच अटेंडेंट, खानपान, सफाई, अनुरक्षण, और सुरक्षा जैसी अनगिनत महत्वपूर्ण सेवाओं को निजी हाथों में सौंपता रहा है। इन ठेकेदारों द्वारा अत्यंत संवेदनशील पदों पर बिना किसी उचित पुलिस सत्यापन (Verification) या पृष्ठभूमि की जाँच के असुरक्षित, अराजक और आपराधिक तत्वों को नियुक्त किया जाता है, जिनकी कोई जवाबदेही नहीं होती।
IREF और अन्य यूनियनों की बार-बार की चेतावनियों के बावजूद, रेलवे प्रशासन मिलीभगत या उदासीनता के चलते इन अटेंडेंटों के सत्यापन में घोर लापरवाही बरतता है, जिसके कारण आज एक राष्ट्र रक्षक की जान गई है। यह दुखद घटना सिद्ध करती है कि निजीकरण की नीति यात्री सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी है।
यह अस्वीकार्य है कि रेलवे बोर्ड अपनी निजीकरण की अंधी दौड़ को जारी रखे, जबकि सुरक्षा और राष्ट्र सेवा से जुड़े एक व्यक्ति की हत्या हो चुकी है। IREF मांग करता है कि रेलवे बोर्ड तत्काल प्रभाव से इस नीति को पलटे। हमारी मांग है कि यात्री सुरक्षा से जुड़े सभी कार्य, विशेष रूप से कोच अटेंडेंट, सफाई, और अन्य सेवाएं, जिन्हें निजी हाथों में दिया गया है, उन सभी सेवाओं का तत्काल राष्ट्रीयकरण (विभागीयकरण) किया जाए।
इन सेवाओं को पूर्ण रूप से रेलवे के अपने कर्मचारियों के माध्यम से संचालित करने की गारंटी सुनिश्चित की जाए। इसके लिए रेलवे को लाखों रिक्त पड़े पदों पर अविलंब नई भर्तियाँ शुरू करनी चाहिए, ताकि सुरक्षा और सेवा की गुणवत्ता बहाल हो सके। इसके अतिरिक्त, इस हत्याकांड के लिए जिम्मेदार ठेकेदार का लाइसेंस तुरंत रद्द किया जाए और दोषी अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित की जाए। IREF चेतावनी देता है कि यदि इस जघन्य घटना के बाद भी ठोस कार्यवाही नहीं हुई, तो IREF राष्ट्रव्यापी आंदोलन के लिए बाध्य होगा।









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