कपूरथला के मंड क्षेत्र के किसानो के चेहरे खिले .....
- चार माह पहले बाढ़ से बरबाद हुए खेतों में बुआई शुरू, 50 फुट गहरा गड्ढा भरा
खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला
कपूरथला के मंड बाऊपुर क्षेत्र के किसानो के चेहरे फिर से खिलने लगे है। कियोंकि चार माह पहले आई बाढ़ ने जहाँ भारी तबाही मचाई थी, और उनकी उमीदे भी ख़त्म हो गई थी। वहीं अब उन खेतो में बुआई शुरू होने से किसान धीरे-धीरे सामान्य जीवन में लौटते नज़र आ रहे हैं।
गांव भैणी कादर बख़्श के पास 10 - 11 अगस्त की दरमियानी रात को ब्यास नदी का अस्थायी बांध टूट गया था। इस भयानक बाढ़ ने किसानों की पकी हुई धान की पूरी फसल बहा दी थी। इसी गांव के 3 भाइयों की ज़मीन में तीन एकड़ क्षेत्र में 50 फुट से भी अधिक गहरा गड्ढा बन गया था।
इस गड्ढे को भरने के लिए राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल की अगुवाई में प्रतिदिन 100 से अधिक ट्रैक्टर चलते रहे। इसे पूरा भरने में 10 दिन लगे और करीब 70 लाख रुपये का डीज़ल खर्च हुआ। संत सीचेवाल ने बताया कि हरियाणा के सिरसा ज़िले के तीन गांवों से 16 ट्रैक्टर बाबा जसविंदर सिंह और बाबा जीत सिंह की अगुवाई में पहुंचे थे। वे यहाँ 15 दिन तक सेवा करते रहे और अपने साथ डीज़ल भी लेकर आए थे।
आज संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने उन खेतों में स्वयं ट्रैक्टर चलाकर गेहूँ की बुवाई की। किसान इंदरजीत सिंह के खेतों में संत सीचेवाल अपने हाथों से बीज बो रहे थे। यह ज़मीन उस बांध के बिल्कुल पास है जहाँ से पहले कटाव हुआ था। इसके साथ ही 30–35 अन्य खेतों में भी ट्रैक्टर ज़मीन को समतल करने में लगे हुए हैं और आने वाले दिनों में वहाँ भी गेहूँ की बुवाई करवाई जाएगी।
किसान जसबीर सिंह ने बताया कि संत सीचेवाल के प्रयासों से अब तक 150 से अधिक एकड़ में गेहूँ की बुवाई हो चुकी है। उन्होंने कहा कि बाढ़ के दौरान किसानों की फसलें ही नहीं, बल्कि घर और उम्मीदें भी बह गई थीं। ऐसे समय में संत सीचेवाल ने किसानों को हिम्मत दी और उन्हें मानसिक रूप से मज़बूत बनाए रखा। इस मौके पर किसानों ने संत सीचेवाल का धन्यवाद किया, जिनके प्रयासों से यह इलाक़ा फिर से पटरी पर लौट रहा है।
राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने बताया कि बाढ़-पीड़ित किसानों के खेत समतल करके गेहूँ बोने का कार्य लगातार जारी है। अभी भी कई जगह लेवलिंग का काम हो रहा है। कुछ किसान पशुओं के लिए चारा भी बोना चाहते हैं। गेहूँ की और भी बुवाई बाक़ी है। उन्होंने बताया कि प्रवासी पंजाबियों ने बाढ़ के समय भी बेहिसाब मदद की है। बाढ़ को आए चार महीने से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अब भी कई किसानों की ज़मीनों से रेत पूरी तरह नहीं हटाई जा सकी है।



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