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IREF का चतुर्थ राष्ट्रीय महाधिवेशन हर्षोल्लास से संपन्न .....

- कॉमरेड सर्वजीत सिंह राष्ट्रीय महासचिव और कॉमरेड अखिलेश पांडे राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए

खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला    

पूर्वोत्तर रेलवे, वाराणसी में इंडियन रेलवे एम्पलाइज फेडरेशन का चौथा राष्ट्रीय महाधिवेशन 21 और 22 सितंबर, 2025 को अत्यंत हर्षोल्लास और नई ऊर्जा के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। इस ऐतिहासिक महाधिवेशन में देश भर के सभी जोनल यूनियनों के प्रतिनिधियों और लाखों रेल कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करते हुए, सर्वसम्मति से कॉमरेड सर्वजीत सिंह को राष्ट्रीय महासचिव और कॉमरेड अखिलेश पांडे को राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में चुना गया है, जिन्होंने भविष्य के संघर्षों का नेतृत्व करने का संकल्प लिया है।

इस दो दिवसीय महाधिवेशन में कई प्रमुख हस्तियों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई, जिसने अधिवेशन को एक विशेष पहचान दी। इनमें माननीय सुदामा प्रसाद, जो संसद सदस्य और रेलवे स्टैंडिंग कमेटी के भी सदस्य हैं, तथा ऑल इंडिया सेंटर ऑफ ट्रेड यूनियन्स (AICCTU) के राष्ट्रीय महासचिव एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष शामिल हुए। मुख्य वक्ता के रूप में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU), नई दिल्ली के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. अतुल सूद ने रेल, देश और विदेश की आर्थिक नीतियों पर गंभीर और विस्तृत चर्चा की, जिसने प्रतिनिधियों को वर्तमान व भविष्य की चुनौतियों एवं भविष्य की संभावनाओं को समझने में मदद की।  

महाधिवेशन में सभी जोनल यूनियनों के पदाधिकारियों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें रेल कर्मचारियों की वर्तमान स्थितियों और मांगों को प्रमुखता से उठाया गया। गहन विचार-विमर्श के बाद, कई महत्वपूर्ण संकल्प लिए। चर्चा के मुख्य बिंदुओं में रेलवे में निगमीकरण, निजीकरण, आउटसोर्सिंग और ठेकेदारी प्रथा को तत्काल बंद करने की मांग शामिल थी, क्योंकि इससे रेलवे की व्यवस्था बद से बदतर हो रही है और ठेकेदारी के अधीन कार्य कर रहे कर्मचारियों की बदहाली लगातार बढ़ रही है, साथ ही, रेलवे में खाली पड़े 3 लाख से अधिक पदों पर तुरंत भर्ती शुरू करने, कर्मचारियों के भविष्य की सुरक्षा के लिए नई पेंशन योजना (NPS) को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल करने, आठवें वेतन आयोग के गठन में हो रही देरी, तथा पीएलबी (PLB) बोनस की गणना सातवें वेतन आयोग के अनुसार करने की भी मांग की गई। इसके अलावा,  कर्मचारियों के माता-पिता को चिकित्सा एवं पास सुविधा प्रदान करने, और महिला कर्मचारियों की कार्य परिस्थितियों में सुधार करने पर भी जोर दिया गया। 12 घंटे के अमानवीय ड्यूटी रोस्टर को समाप्त कर 8 घंटे का ड्यूटी रोस्टर लागू करने और सरकार द्वारा लाए गए चारों श्रम कोड को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की भी मांग की गई। 

महाधिवेशन ने 73 सदस्यों की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन किया गया, जिसने यह संकल्प लिया कि वह रेल कर्मचारी एवं रेलवे की व्यवस्था में सुधार के लिए पूरी निष्ठा और नई ऊर्जा के साथ कार्य करेगी। इस नई कार्यकारिणी का गठन संगठन को जमीनी स्तर पर और अधिक मजबूत करने के उद्देश्य से किया गया है। नवगठित कार्यकारिणी ने यह विश्वास जताया कि वे रेल कर्मचारियों के हक और अधिकारों की रक्षा के लिए सड़क से लेकर संसद तक हर स्तर पर संघर्ष करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। यह महाधिवेशन सिर्फ एक बैठक नहीं, बल्कि एक नए आंदोलन की शुरुआत है, जिसमें एकजुट होकर हर चुनौती का सामना किया जाएगा।  

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