साइंस सिटी में मनाया हरित खपत्त दिवस ---
- देश के स्थायी विकास के लिए पर्यावरण की अनुकूल आदतें समय की प्रमुख आवश्यकता
खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला
कपूरथला के पुष्पा गूजराल साइंस सिटी द्वारा स्थायी अभ्यासों को अपनाने और हरी खपत्त को उत्साहित करने के उद्देश्य से हरित खपत्त दिवस मनाया गया। इसके माध्यम से लोगों को पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों को अपनाने, पैकिंग को कम से कम करने और प्राकृतिक या पुनर्वापसी वस्तुओं को स्वीकार करने का संदेश दिया गया।
इस बार हरित खप्पतकार दिवस मनाने का विषय “स्थायी जीवन शैली के लिए सिर्फ बदलाव”, जो इस बात पर जोर देता है कि स्थायी विकास का लाभ सभी तक पहुँचें। यह विषय निम्न आय वर्ग, गरीब और कमजोर तबके की सुरक्षा पर केंद्रित है। इस अवसर पर स्कूल के बच्चों का “सफर रहिं-खहूंद की चुनौतियों” पर एक प्रोजेक्ट मॉडल मुकाबला भी आयोजित किया गया। इस मुकाबले में लगभग 150 विद्यार्थियों ने अपने स्कूलों में अपनाए जा रहे “सफर रहिं-खहूंद” अभ्यासों को दर्शाते हुए शोधपूर्ण मॉडल का प्रदर्शन किया।
साइंस सिटी के डायरेक्टर डा. राजेश ग्रोवर ने हमारे वर्तमान व्यवहार का भविष्य पर कितना प्रभाव पड़ सकता है, इस पर जोर दिया। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि हमारा आज का सभ्याचार और उपभोक्तावाद, पर्यावरण को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं और इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन और भी तेज हो रहा है।
इस मौके पर डा. ग्रोवर ने रहिं-खहूंद के घटाव, चीज़ों की पुनः और बार-बार उपयोग या सर्कुलर अर्थ व्यवस्था को तुरंत अपनाने की ज़रूरत पर जोर दिया। उन्होंने आगे कहा कि हरित उपभोक्ता दिवस हर साल लोगों को पर्यावरण अनुकूल आदतें अपनाने के लिए प्रेरित करने तथा छोटे कारखानों से लेकर बड़े उद्योगों तक टिकाऊ विनिर्माण प्रथाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से मनाया जाता है ताकि देश का सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके।
इस अवसर पर, साइंस सिटी के वैज्ञानिक-डी एवं कार्यक्रम समन्वयक डॉ. मुनीश सोइन ने कहा कि जनसंख्या वृद्धि, औद्योगीकरण, शहरीकरण और आर्थिक विकास के कारण ठोस अपशिष्ट दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर किए गए अध्ययनों से यह भी पता चला है कि विकसित देश विकासशील देशों की तुलना में अधिक अपशिष्ट उत्पन्न करते हैं। उन्होंने कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन के लिए स्थायी मूल्यों को प्रतिबिंबित करने वाली स्थायी प्रथाओं को लागू करने की तत्काल आवश्यकता है।



















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