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कपूरथला के मंड क्षेत्र में जनजीवन पटरी पर लौटना शुरू ....

- नौकाओं के स्थान पर ट्रैक्टरों से राहत सामग्री पहुंचने लगी  

- लोग अपने मवेशियों और संपत्ति को लेकर घरों में लगे लौटने    

खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला    

 बाढ़ के प्रभाव से लोगों की जिंदगी मुश्किल में आ गई है। ब्यास दरया में पानी के स्तर में कमी आने से मंड क्षेत्र के लोगों को बड़ी राहत मिली है। पिछले एक महीने से बाढ़ का सामना कर रहे मंड बाऊपुर क्षेत्र के लोगों ने पानी का स्तर घटने पर राहत की सांस ली है और उनके घरों में फिर से चूल्हे जलने लगे हैं। बाढ़ के 30वें दिन पानी इतना घट चुका है कि जहां पहले नौकाएं चलती थीं, वहां अब खेतों के राजे ट्रैक्टरो ने अपनी कमान संभाल ली है , और अब राहत सामग्री ट्रैक्टर ट्रालियों द्वारा सीधे गांवों तक पहुंचने लगी है। 

आज सुबह, राज्यसभा सदस्य और पर्यावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सीचेवाल पानी के घटने के बाद अपनी गाड़ी से बाऊपुर गांव पहुंचे, जहां उन्होंने लंगर पहुंचाया। बहुत से लोग अपने मवेशियों और संपत्ति के साथ अपने घरों में लौट आए हैं, और उनके घरों में चूल्हे फिर से जलने लगे हैं। हालांकि, लोग अपनी खराब हुई फसल को देखकर दुखी हैं। मंड के कुछ इलाकों में अभी भी कई स्थानों पर पानी डेढ़ से दो फीट के करीब है। इसके बावजूद, लोग अपने घरों की ओर लौटने लगे हैं और बाढ़ से खराब हुई वस्तुओं को धूप में सुखाने का काम शुरू कर दिया है। 

इस क्षेत्र के किसान नेता कुलदीप सिंह सांगरा ने कहा कि उन्होंने 1988, 1993, 2008, 2019 और 2023 की बाढ़ों का सामना किया है, लेकिन 2025 की बाढ़ ने नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। उन्होंने कहा कि मंड के 16-17 गांव हैं, और इस क्षेत्र की 3500 एकड़ ज़मीन में किसानों की बोई गई फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है, जो किसानों की सबसे लाभकारी फसल थी। 

लोग 30 दिनों की बाढ़ के दौरान के दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि एक बार उन्हें ऐसा लग रहा था कि उनका घर और परिवार बाढ़ में बहकर खत्म हो जाएगा, लेकिन बाढ़ के दौरान राहत कार्यों में जुटे लोगों ने एक नई उम्मीद पैदा की थी कि अब हम सुरक्षित हैं। बाढ़ पीड़ितों तक राहत पहुंचाने में लोगों की तत्परता अपने आप में एक बड़ी मिसाल बन गई है। 

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