कपूरथला में बाढ़ जायजा लेने पहुंचे केजरीवाल --- बोले, केंद्र भी मदद करे, सभी को मुआवजा देंगे ,....
- मंड के पीड़ित किसानों ने रखीं कई मांगें, संत सीचेवाल को क्षेत्र का बताया “माई-बाप”
- “दरया को दरया ही रहने दिया जाए” -- किसान नेता
खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला
AAP के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज बाढ़ प्रभावित मंड क्षेत्र का दौरा किया। जब वह गांव बाऊपुर पहुँचे तो ज़मीनी हकीकत से उन्हें अवगत करवाने के लिए संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने परंपरागत नेताओं से अलग हटकर नई पहल की। उन्होंने बाऊपुर, सांगरा और रामपुर गौहड़ा गाँवों के नेताओं को अरविंद केजरीवाल से मिलवाया ताकि बाढ़ की वास्तविक स्थिति और पीड़ितों की ज़रूरतें सही तरीके से सामने रखी जा सकें।
अरविंद केजरीवाल के सांगरा गाँव पहुँचने से पहले ही इन नेताओं को विशेष नाव के जरिए वहाँ भेजा गया। गाँव सांगरा में किसान नेता कुलदीप सिंह ने केजरीवाल को माँगपत्र सौंपते हुए कहा कि ब्यास नदी को पक्का करके नहर नहीं बनाया जा सकता, इसलिए नदी को नदी ही रहने दिया जाए और इसके हिस्से का पानी बहता रहना सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने दोहराया कि मंड क्षेत्र के किसान नदी की ज़मीन पर नहीं बैठे हैं, बल्कि नदी ही किसानों की ज़मीन में आ गई है।
अरविंद केजरीवाल ने आश्वासन दिया कि किसानों का माँगपत्र वह मुख्यमंत्री तक पहुँचा देंगे। जब केजरीवाल ने संत सीचेवाल के कंधे पर हाथ रखकर कहा कि “बाबा जी इलाके में बहुत मदद कर रहे हैं”, तो किसान नेता कुलदीप सिंह सांगरा ने कहा कि इलाके के लोग संत बलबीर सिंह सीचेवाल को केवल सांसद के रूप में नहीं देखते, बल्कि उन्हें इस क्षेत्र का “माई-बाप” मानते हैं।
उन्होंने केजरीवाल को बताया कि मंड क्षेत्र में 10 अगस्त की रात को एडवांस बाँध टूट गया था और संत सीचेवाल 11 अगस्त को मोटर बोट और बड़ी एक्सकेवेटर मशीन लेकर वहाँ पहुँच गए थे। उस दिन से लेकर आज 24वें दिन तक वे लगातार हमारे साथ खड़े हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि नुकसान का मुआवज़ा सिर्फ पाँच एकड़ तक सीमित न किया जाए, बल्कि जितने भी खेत तबाह हुए हैं, उतना मुआवज़ा हर किसान को मिलना चाहिए। साथ ही मुआवज़ा वास्तविक काश्तकार को दिया जाए।
बातचीत के दौरान संत सीचेवाल ने कहा कि वे बाढ़ पीड़ितों की मदद इंसानियत के नाते कर रहे हैं। इस कार्य में किसी भी राजनीतिक दल को राजनीतिक लाभ नहीं देखना चाहिए, बल्कि गुरु नानक देव जी के “सर्बत्त दा भला” (सभी के भले) के संदेश को ध्यान में रखकर सेवा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि वे बाढ़ के समय पीड़ितों के साथ खड़े हो सकते हैं तो पानी सूखने के बाद भी उनके साथ खड़े रहेंगे।
उन्होंने एनआरआई भाइयों से भी अपील की कि वे किसानों की गेहूँ की बुवाई के समय मदद करें। यह मदद खेत जोतने के लिए डीज़ल, गेहूँ के बीज, खाद, कीटनाशक दवाइयाँ और अन्य आर्थिक सहायता के रूप में दी जा सकती है।



















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