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RCFEU का जन जागरण अभियान --- दूसरा चरण फर्निशिंग शॉप में संपन्न ....

- कर्मचारियों के हितों पर जोर, RCF प्रशासन को कड़ी चेतावनी   

खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला   

रेल कोच फैक्ट्री एम्पलाइज यूनियन द्वारा अपने कर्मचारियों के कार्यस्थल की स्थितियों में सुधार और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए शुरू किए गए महत्वपूर्ण अभियान का दूसरा चरण सफलतापूर्वक संपन्न हो गया है। इस चरण में कई गंभीर और दीर्घकालिक मुद्दों को गहराई से उठाया गया। जिनका सीधा संबंध RCF कर्मचारियों की कार्यप्रणाली, स्वास्थ्य और सुरक्षा से है।

अभियान के मंच संचालक अरविंद कुमार साह ने वर्कशॉप की खराब साफ-सफाई की स्थिति को उजागर किया। उन्होंने बताया कि वर्कशॉप में कई जगहों पर स्क्रैप और कचरा पड़ा हुआ है, जिसमें बारिश के मौसम में मच्छर पनप रहे हैं, जिससे कर्मचारियों को डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों के फैलने का डर सता रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन को अवगत कराने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

उन्होंने फर्निशिंग शॉप में काम करने वाले कर्मचारियों को दिए जा रहे उपकरणों (जैसे ड्रिल मशीन, ड्रिल बिट) की निम्न गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए। साथ ही, स्क्रू और एडहेसिव जैसी सामग्रियों की घटिया गुणवत्ता के कारण कोचों की गुणवत्ता और कर्मचारियों की कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है।

अरविंद कुमार साह ने एक और गंभीर मुद्दा उठाया कि धूल-कण वाले वातावरण में काम करने वाले कर्मचारियों के फेफड़ों की सुरक्षा के लिए प्रशासन द्वारा गुड़ वितरित किया जाता है। लेकिन इस बार जो गुड़ दिया गया था, उसमें फफूंदी लगी हुई थी। इस संबंध में प्रशासन को सूचित कर इन समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान करने की कड़ी चेतावनी दी गई है।

संगठन सचिव भरत राज ने अपने संबोधन में फैक्ट्री में बढ़ती ठेकेदारी प्रथा, आउटसोर्सिंग और नई भर्तियों की कमी जैसे गंभीर मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "आज आरसीएफ में स्थायी रोजगार की जगह ठेकेदारी प्रथा तेजी से बढ़ रही है, जिससे कर्मचारियों का भविष्य अनिश्चित हो रहा है। आउटसोर्सिंग से न केवल स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं, बल्कि कर्मचारियों को मिलने वाले लाभ और सुरक्षा भी प्रभावित हो रही है। नई भर्तियों पर लगी रोक से वर्कलोड बढ़ रहा है और अनुभवी कर्मचारियों की कमी महसूस हो रही है, जिसका सीधा असर उत्पादन और गुणवत्ता पर पड़ रहा है।" उन्होंने यूनियन की ओर से इन नीतियों का पुरजोर विरोध करते हुए मांग की कि प्रशासन प्रत्येक वर्ष कोच उत्पादन का लक्ष्य बढ़ाने के साथ-साथ फैक्ट्री में ज्यादा से ज्यादा नई भर्ती का भी प्रबंध करे।

यूनियन के जुझारू नेता नरेंद्र कुमार शैल ने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि शैल शॉप में कर्मचारियों को समय पर सामग्री नहीं मिलती और यहाँ भी ठेकेदारी चरम सीमा पर है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन कर्मचारियों के कल्याण के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है। शैल फर्म से बनकर आ रही सामग्री की गुणवत्ता बहुत घटिया है और इसमें बहुत मिसमैच है, जिस कारण संपूर्ण कोच तैयार नहीं हो पा रहा है। इसका सीधा असर कर्मचारियों के इंसेंटिव पर पड़ रहा है। उन्होंने इसे प्रशासन की एक बड़ी साजिश बताते हुए कर्मचारियों के बढ़ते रोष को व्यक्त किया।

प्रधान अमरीक सिंह का कड़ा रुख और व्यापक आंदोलन की घोषणा: इस अवसर पर, आरसीएफ एम्पलाइज यूनियन के प्रधान अमरीक सिंह ने सिविल प्रशासन को स्पष्ट और अंतिम चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि यदि इन गंभीर मुद्दों पर तत्काल ध्यान नहीं दिया गया और प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो यूनियन अपने कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए और भी कड़े और निर्णायक कदम उठाने को मजबूर होगी।

RCFEU के अध्यक्ष अमरीक  सिंह ने एक व्यापक आंदोलन की घोषणा करते हुए कहा, "इंडियन रेलवे एम्पलाइज फेडरेशन और NMOPS के आह्वान पर पूरे देश में पुरानी पेंशन बहाली और एनपीएस/यूपीएस को रद्द करवाने के लिए एक विशाल और ऐतिहासिक मुहिम चलाई जा रही है। यह केवल एक मांग नहीं, बल्कि कर्मचारियों के भविष्य की सुरक्षा का सवाल है।" उन्होंने इस मुहिम की विस्तृत रूपरेखा साझा करते हुए बताया कि 1 अगस्त को पूरे देश में रेलवे कर्मचारी अपने-अपने मुख्यालय में मेमोरेंडम सौंपेंगे, जिसमें पुरानी पेंशन बहाली और अपने स्थानीय मुद्दों की दृढ़ मांग रखेंगे, 5 सितंबर को पूरे देश के शिक्षक, जो इस अन्यायपूर्ण पेंशन प्रणाली से प्रभावित हैं, भूख हड़ताल पर जाएंगे, और अन्य विभागों के कर्मचारी अपने-अपने स्थानों पर व्यापक रोष प्रदर्शन करेंगे।  

जिससे इस संघर्ष को और भी व्यापक समर्थन मिलेगा, 1 अक्टूबर को एक राष्ट्रव्यापी ट्विटर अभियान चलाया जाएगा, जिसका उद्देश्य सोशल मीडिया के माध्यम से जनता और सरकार का ध्यान इस महत्वपूर्ण मुद्दे की ओर आकर्षित करना है और अंत में, 25 नवंबर को दिल्ली में पूरे देश के रेलवे और राज्यों के लाखों कर्मचारी एकत्रित होंगे, जो एनपीएस/यूपीएस को रद्द करवाकर पुरानी पेंशन की बहाली के संघर्ष में अपना ऐतिहासिक योगदान देंगे।

अमरीक ने सभी RCF कर्मचारियों से इस राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने और अपने अधिकारों के लिए एकजुट होकर संघर्ष करन का आह्वान किया। उन्होंने सभी कर्मचारियों से एकजुट रहने, अपने अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखने और यूनियन के हर आह्वान पर खड़े रहने का भावनात्मक आग्रह किया।

यूनियन ने दृढ़ता से उम्मीद जताई है कि आरसीएफ प्रशासन इन महत्वपूर्ण और गंभीर मुद्दों पर संज्ञान लेगा और कर्मचारियों की समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर समाधान करेगा, ताकि आरसीएफ में एक सुरक्षित, स्वस्थ और न्यायपूर्ण कार्य वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।

इस मौके पर मंच पर आरसीएफ एम्पलाइज यूनियन के महासचिव सर्वजीत सिंह, संयुक्त सचिव जसपाल सिंह शेखो, कार्यकारी प्रधान मनजीत सिंह बाजवा, कैशियर हरविंदर पाल, जगतार सिंह और प्रदीप कुमार मौजूद थे। इसके अलावा, इस अभियान में मुख्य रूप से अतिरिक्त सचिव अमरीक सिंह, विचित्र सिंह, तलविंदर सिंह, बलजिंदर सिंह, गुरविंदर सिंह, सर्वजीत सिंह, अवतार सिंह, हरप्रीत सिंह, साकेत कुमार, त्रिलोचन सिंह, संजीव कुमार, संदीप कुमार, जगदीप सिंह, जगजीत सिंह, रघुवीर सिंह, भान सिंह, राजेंद्र कुमार, शिवराज मीणा, मक्खन सिंह, मेघनाथ पासवान, शिव चन्द्र लाल, सिमरन, अश्विनी कुमार, गुरजिंदर सिंह, अनिल कुमार, पंकज कुमार सिंह, जयप्रकाश गुप्ता, वरिंदर सिंह, हरजिंदर सिंह हैरी, गुरजीत कलशी आदि शामिल थे।

RCF के वर्कर क्लब में RCFEU का आम इजलास भी बुलाया गया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में कर्मचारी साथी शामिल हुए। इस आम इजलास में आरसीएफ एम्प्लॉईज यूनियन के लिए आठ डिवीजन बनाए गए, जिनमें आरसीएफ का लाला लाजपत राय अस्पताल, एडमिन और सिविल, स्टोर, पेंट, बोगी, प्लांट, शैल और फर्निशिंग शामिल हैं। आठों डिवीजन के पदाधिकारियों का चुनाव हुआ और सभी को सम्मानित किया गया।  

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