संत सीचेवाल के प्रयासों से मौत के मुंह में फंसा नौजवान सकुशल वतन लौटा ....
- आठ देशों और अमेज़न के जंगलों में कई महीनों तक भटकता रहा
- लकड़ियों और घास खाकर बलविंदर ने पांच महीनों तक किया गुज़ारा
- कोलंबिया के जंगलों में डोकरों ने बनाकर रखा था बंधक
खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला
कोलंबिया से मौत के साए से बचकर लौटे युवक बलविंदर सिंह ने जो दास्तां सुनाई, वह रोंगटे खड़े कर देने वाली थी। उसने बताया कि कैसे उसने अपनी आंखों के सामने मौत को देखा और साथियों पर हुए अत्याचारों का खौफनाक मंजर देखा। बलविंदर ने बताया कि जब उसके साथियों को डोकरों ने बंधक बनाकर बेरहमी से प्रताड़ित किया तो उसे भी लगने लगा कि अब उसका अंत निकट है।
उसने बताया कि एक साथी के शरीर पर ब्लेड से वार कर उसे लहूलुहान कर दिया गया था, जबकि दूसरे को नग्न करके उस पर पिघली हुई प्लास्टिक और गर्म रॉड लगाई गई। इन दरिंदों ने इन क्रूर यातनाओं की वीडियो बनाकर भारत में माता-पिता को भेजी, ताकि फिरौती वसूली जा सके। एक डोकर द्वारा “सुबह तुझे गोली मार दी जाएगी” की धमकी से उसकी रात की नींद गयाब हो गई थी।
कपूरथला जिले के बाज़ गांव निवासी बलविंदर सिंह आज अपने परिवार सहित नतमस्तक होने निर्मल कुटिया, सुलतानपुर लोधी पहुँचे। राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल की उपस्थिति में बलविंदर ने बताया कि जब उसे गोली मारने की धमकी दी गई तो उसने सोचा कि मरना तो तय है, क्यों न भागने की कोशिश की जाए। फिर वह उसी रात को वहां किसी तरह से डोकरों की चुँगल से भाग निकला। उसने बताया कि उसका यह प्रयास तब सफल साबित हुआ जब जंगल से भागते हुए वे एक मुख्य मार्ग तक पहुँच गया, जहाँ एक बाइक सवार ने उसे सुरक्षित स्थान तक पहुँचाया।
बलविंदर ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि वह जुलाई 2024 में भारत से अमेरिका के लिए रवाना हुआ था। एजेंटों ने उसे दिल्ली से मुंबई, फिर नीदरलैंड, सिएरा लियोन, घाना, अमेज़न के जंगलों के रास्ते ब्राजील पहुंचाया। इसके बाद बोलिविया, पेरू और इक्वाडोर होते हुए अंत में कोलंबिया के जंगलों में डोकरों के हवाले कर दिया गया। वहाँ पहुँचते ही उसका पासपोर्ट और फोन छीन लिया गया और उसे एक कमरे में बंद कर दिया गया। वहां पंजाब, हरियाणा और अन्य देशों से युवकों को भी समूहों में बंदी बनाकर रखा गया था। उसने दावा किया कि डोकरों ने पास के ही इलाके में नेपाल की लड़कियों को भी बंदी बना कर रखा हुआ था।
बलविंदर ने बताया कि डोकरों से भागकर जब वह किसी तरह एक सुरक्षित जगह पहुंचा तो करीब पांच महीने बाद अपने परिवार से संपर्क कर पाया और उन्हें अपनी पूरी कहानी सुनाई। इस दौरान उसकी मां और बहन राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल के कार्यालय पहुंचीं। उस समय संत सीचेवाल कनाडा में थे, लेकिन वहीं से उन्होंने विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास से संपर्क कर बलविंदर की वापसी के लिए ज़रूरी कदम उठवाए।
निर्मल कुटिया सुल्तानपुर लोधी पहुँची बलविंदर की माता शिंदर कौर ने संत सीचेवाल का धन्यवाद करते हुए कहा कि “यह मेरे बेटे का दूसरा जन्म है।” उन्होंने बताया कि एजेंटों ने पहले ही उनकी ज़मीन और मकान बिकवा दिया था। ऐसे हालात में अगर संत सीचेवाल बलविंदर की टिकट न करवाते, तो उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वे अपने बेटे को वापस बुला पाते।
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