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सीचेवाल की बड़ी उपलब्धि --- केन्द्र सरकार ने कक्षा 9 से पाठ्यक्रम में बीएसएल प्रशिक्षण शामिल करने का लिया निर्णय .....

- अचानक हृदयाघात से होने वाली मृत्यु दर को कम करने के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का बनेगा हिस्सा  

- संत सीचेवाल ने पिछले साल राज्यसभा में उठाया था मुद्दा  

- अचानक हृदयाघात से प्रतिवर्ष 10 लाख लोगों की हो रही है मृत्यु --- सीचेवाल  

खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला    

केंद्र सरकार, अचानक हृदयाघात के कारण होने वाली मौतों की दर को कम करने के लिए मरीजों को मौके पर ही बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएसएल) प्रशिक्षण प्रदान करने के राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल द्वारा संसद में उठाए गए मुद्दे को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाएगी। देश के केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने संत बलबीर सिंह सीचेवाल को संबोधित पत्र में बताया कि केंद्र सरकार 9वीं से 12वीं तक की कक्षाओं में बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएसएल) प्रशिक्षण अनिवार्य कर रही है। 

उल्लेखनीय है कि संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने पिछले वर्ष फरवरी 2024 के संसद सत्र के दौरान यह मुद्दा उठाया था कि देश में हर साल दस लाख लोगों की मौत अचानक हृदयाघात के कारण होती है। इस मृत्यु दर को कम किया जा सकता है यदि हृदयाघात के प्रथम तीन से 10 मिनट के भीतर ही मरीज की छाती को विशेष तकनीक से संकुचित कर दिया जाए तो उसे मौत के कगार से वापस लौटाया जा सकता है।  

जालंधर में इस तकनीक के विशेषज्ञ डॉ. मुकेश गुप्ता ने पिछले साल संत सीचेवाल से संपर्क कर मांग की थी कि इस मुद्दे को संसद में उठाया जाए।  

केंद्रीय कौशल विकास, उद्यमिता एवं शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के परामर्श से मामले की जांच की गई है। इसके बाद राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद को सूचित किया गया कि बेसिक लाइफ सपोर्ट तकनीकों को कक्षा 9 से शारीरिक शिक्षा और फिटनेस पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।  

पत्रकारों से बातचीत करते हुए संत सीचेवाल ने केंद्र सरकार का धन्यवाद किया और कहा कि सरकार ने इस विषय को अनिवार्य तो कर दिया है, लेकिन इस पर अब और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "अचानक हृदयाघात के पहले 3 से 10 मिनट मरीज के लिए अत्यंत संवेदनशील होते हैं। यदि इस दौरान छाती को विशिष्ट तरीके से दबाया जाए तो मरीज की जान बचाई जा सकती है। दुर्भाग्यवश, 0.1 प्रतिशत से भी कम लोग इस तकनीक से परिचित हैं, जबकि यह ज्ञान हर नागरिक को प्राप्त होना चाहिए, क्योंकि मानव जीवन बचाना हमारी सर्वोत्तम प्राथमिकता है।"  

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