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PTU कैंपस में तैनात 500 से अधिक कर्मचारियो के परिवार भूखे मरने की कगार पर, पढ़ें क्यों ... ???

- पिछले 2 महीने से कर्मचारियों को नहीं मिली पगार   

- PTU प्रशासन ने कहा कि यह हमारे कर्मचारी नहीं   

- SIS एजेंसी ने कहा PTU ने अक्टूबर से नहीं दिया कोई पैसा   

खबरनामा इंडिया ब्यूरो। कपूरथला, पंजाब     

पंजाब के कपूरथला जालंधर रोड पर स्थित आई के गुजराल PTU कैंपस में काम करने वाले 500 से अधिक कर्मचारियों के परिवारों के भूखे मरने के हालात बनते जा रहे हैं। जिसका कारण पिछले 2 महीने से उन्हें पगार ना मिलना बताया जा रहा है। हालांकि पीटीयू प्रशासन इस बात से पल्ला झाड़ रहा है कि उक्त कर्मचारी आउटसोर्सिंग द्वारा SIS एजेंसी द्वारा पगार पाते हैं। 

जबकि दूसरी तरफ SIS के अधिकारी अपना पक्ष रखते हुए कह रहे हैं कि अक्टूबर 2021 से PTU द्वारा उन्हें कोई पैसा नहीं दिया गया है। वही पीटीयू के रजिस्टर का कार्य देख रहे एडीसी जालंधर जसप्रीत सिंह ने बताया की एसआईएस एजेंसी को सभी कर्मचारियों का पैसा अदा किया जा चुका है अगर वह कर्मचारियों को पगार नहीं देते तो उन पर उचित कानूनी कार्रवाई होगी वह की जाएगी।

जानकारी अनुसार जालंधर कपूरथला रोड पर स्थित आई के गुजराल PTU कैंपस में उनके कर्मचारियों के अलावा लगभग 550 कर्मचारी आउटसोर्स माध्यम से तैनात है। जिसमें लगभग 400 कर्मचारी जिनमे क्लर्क, अटेंडेंट, लिफ्ट मैन, तथा अन्य कार्य से संबंधित हैं, तथा 150 सिक्योरिटी कर्मी है। उक्त कर्मचारियों को पिछले 2 महीने से पगार ना मिलने के चलते उनके परिवार भूखे मरने की कगार पर पहुंच चुके हैं। सूत्रों की माने तो उक्त कर्मचारियों को PTU प्रशासन द्वारा नजरअंदाज भी किया जाता है। तथा पगार ना मिलने की सूरत में दो टूक जवाब देते हुए SIS एजेंसी से ही बात करने का कहा जाता है। 

PTU कैंपस में कार्य करने वाले आउटसोर्स के लगभग 500 से अधिक कर्मचारियों की पगार न मिलने के चलते जब पीटीयू के PRO रजनीश कुमार से बात हुई तो उन्होंने इस मुद्दे से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि यह हमारे कर्मचारी नहीं है। इसलिए आप SIS एजेंसी से ही बात करें। 

जबकि दूसरी तरफ SIS के जालंधर ब्रांच के प्रभारी नरोत्तम पांडे से बात हुई तो उन्होंने नया खुलासा करते हुए कहा PTU प्रबंधन ने कर्मचारियों की पिछले अक्टूबर 2021 से पगार नहीं दी है। जबकि उन्होंने कर्मचारियों की समस्या को देखते हुए अपने पास से ही दिसंबर तक पगार कर्मचारियों को अदा कर दी है। इन हालातों में उक्त 500 से अधिक परिवार कर्मचारियों के परिवार भूखे मरने की कगार पर पहुंच गए हैं और उनकी समस्या सुलझाने को कोई भी तैयार नहीं है। 




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