कृषि कानून ..... किसान आंदोलन हो सकता है उग्र, किसानो का अहम फैसला .... पढ़े क्या .... ???
- सरकार कानूनों में बदलाव को तैयार, कानून की वापसी नहीं - तोमर
- जमीन पर कब्जा, MSP का खात्मा जैसी किसानों की कई शंकाओं को दूर किया जायगा
केंद्र सरकार ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि कृषि सुधार कानूनों की वापसी सम्भव नहीं, लेकिन किसानों की शंकाओं को दूर करने के लिए संशोधन किए जा सकते हैं और लिखित में भरोसा दिया जा सकता है। यह बात कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने वीरवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसानों की ओर से जताई गई चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा कि अब फैसला किसानो के हाथ में है, सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर विचार करें और जब भी वह बात करना चाहेंगे, सरकार तैयार है।
वहीं सरकार के बयान के बाद किसान नेताओं ने कहा है कि हमने 10 तारीख तक का अल्टीमेटम दिया हुआ था कि अगर PM ने हमारी बातों को नहीं सुना और कानूनों को रद्द नहीं किया तो सारे धरने रेलवे ट्रैक पर आ जाएंगे। आज की बैठक में यह फैसला हुआ कि अब रेलवे ट्रैक पर पूरे भारत के लोग जाएंगे। संयुक्त किसान मंच इसकी तारीख की जल्द घोषणा करेगा।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हमने किसानों से कई बार बात की। और उनके हर सवाल का जवाब प्रस्ताव में लिखकर दिया है। लेकिन किसान अभी फैसला नहीं कर पा रहे हैं और जो चिंता की बात है।
कृषि मंत्री ने कृषि कानूनों के प्रवाधानों के पीछे सरकार की मंशा का जिक्र करते हुए कहा कि फिर भी किसानों को कुछ आशंकाएं हो तो उन्हें दूर किया जाएगा। तोमर ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में जमीन पर कब्जे को लेकर किसानों की चिंता को दूर करने का प्रयास किया तो एमएसपी पर भी लिखित भरोसा देने की बात कही। इसके अलावा यह भी कहा कि किसानों के पास कोर्ट जाने का भी विकल्प होगा।
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