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बाढ़ की तबाही से जूझ रहे किसानों को सहायता की दरकार ....

- संत सीचेवाल का साथ न मिलता तो 10 साल में भी खेतों से रेत न हटती -- किसान  

- बाउपुर मंड क्षेत्र में मक्का की बुआई के लिए खेत किए जा रहे तैयार  

- खेतों में अधिक रेत होने से किसान गेहूं की बुआई से वंचित रहे   

- संत सीचेवाल ने डीज़ल दान करने की अपील की  

खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला    

कपूरथला के बाउपुर मंड क्षेत्र में बाढ़ से हुई भारी तबाही के बाद अब भी बड़े पैमाने पर खेतों से रेत हटाने का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। ताकि फरवरी तक मक्का की बुआई की जा सके। पीड़ित किसानों की जमीनों को समतल करने के लिए राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल की ओर से लगातार एक्सकेवेटर मशीनें और बड़े ट्रैक्टर लगाए गए हैं, जिनके माध्यम से खेतों को समतल किया जा रहा है।  

मंड क्षेत्र के जिन इलाकों से पहले ही रेत हटा ली गई थी, वहां गेहूं की बुआई हो चुकी है। लेकिन कई ऐसे किसान भी हैं, जिनके खेतों में अब भी चार–पांच फुट तक रेत जमी हुई है, जिसके कारण वे गेहूं की फसल नहीं बो सके। 

मंड क्षेत्र पहुंचे राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने उन स्थानों का दौरा किया, जहां खेतों में अब भी रेत के ढेर लगे हुए हैं। इस दौरान उन्होंने दानदाताओं से डीज़ल दान करने की अपील करते हुए कहा कि अभी भी कई किसानों की जमीन पर भारी मात्रा में रेत पड़ी हुई है, जिसे हटाना अत्यंत आवश्यक है। 

ब्यास दरया के समीप होने के कारण बाढ़ के समय सबसे अधिक रेत इन्हीं किसानों के खेतों में जमा हो गई थी। बीते तीन-चार महीनों से संत सीचेवाल के कारसेवक किसानों के खेतों में पांच-पांच फुट गहरी खाइयां खोद रहे हैं। इन खाइयों से सख्त मिट्टी निकाली जा रही है और फिर उन्हें रेत से भरकर खेतों को उपजाऊ बनाने का प्रयास किया जा रहा है। 

किसानों ने बताया कि यदि वे अपने स्तर पर खेतों को समतल करने की कोशिश करते, तो दस वर्षों में भी यह कार्य पूरा नहीं हो पाता। लेकिन अब संत सीचेवाल के नेतृत्व में कारसेवा के रूप में सामूहिक तौर पर जमीनें समतल की जा रही हैं, जिससे काम तेजी से पूरा हो रहा है। किसानों ने उम्मीद जताई कि जिस रफ्तार से यह कारसेवा चल रही है, फरवरी तक मकई की अगली फसल के लिए खेत पूरी तरह तैयार हो जाएंगे। 

मौके पर मौजूद किसानों ने बताया कि बाढ़ के कारण उनकी धान की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई थी और साथ ही उनकी जमीन भी बंजर हो गई थी। इस दोहरी मार से संत सीचेवाल ने उन्हें उबारने का काम किया है। उन्होंने अपनी पूरी भारी मशीनरी मंड क्षेत्र में लगा रखी है। बाढ़ के दौरान उन्होंने नावों के जरिए लोगों की मदद की और पानी उतरने के बाद खेतों को समतल करने से लेकर गेहूं की बुआई तक स्वयं श्रमदान किया। वर्तमान में भी दरया के बांध को लगातार मजबूत किया जा रहा है।  

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