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भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य का जैव-ऊर्जा आधार -- मंत्री नाइक

- जैव-ऊर्जा अनुसंधान में नवीनतम प्रगति पर 5वाँ अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, SSS -NIBE, कपूरथला में आरंभ 

खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला    

जैव-ऊर्जा अनुसंधान में नवीनतम प्रगति पर पाँचवाँ अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीआरएबीआर-2025) 6 अक्टूबर 2025 को सरदार स्वर्ण सिंह राष्ट्रीय जैव-ऊर्जा संस्थान (एसएसएस-एनआईबीई), कपूरथला में आरंभ हुआ, जो भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय का एक स्वायत्त संस्थान है। यह चार दिवसीय कार्यक्रम शोधकर्ताओं, उद्योग प्रतिनिधियों और नीति निर्माताओं के लिए जैव-ऊर्जा क्षेत्र में नवीनतम प्रगति और भविष्य की दिशाओं पर चर्चा करने का एक प्रमुख मंच है।

उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा एवं विद्युत राज्य मंत्री श्रीपद नाइक थे, जिन्होंने एसएसएस-एनआईबीई के नए लोगो का अनावरण किया, जो संस्थान की नवाचार, स्थिरता और स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। आईआईटी रोपड़ और एसएसएस-एनआईबीई के बीच आज बायोमास और जैव ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोगात्मक अनुसंधान और गतिविधियों के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।

एमएनआरई सचिव (वर्चुअल) संतोष कुमार सारंगी और आईआईटी रोपड़ के निदेशक प्रोफेसर राजीव आहूजा इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। अपने संबोधन में माननीय मंत्री श्रीपद नाइक ने एसएसएस-एनआईबीई में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आईसीआरएबीआर 2025 में भाग लेने पर प्रसन्नता व्यक्त की।  

उन्होंने देश में जैव ऊर्जा के महत्व पर ज़ोर दिया, जहाँ 228 मीट्रिक टन अतिरिक्त फसल अवशेष, 62 मीट्रिक टन एमएसडब्ल्यू और पशु खाद की प्रचुर उपलब्धता है, जिसकी कुल बिजली क्षमता 40 गीगावाट है। उन्होंने जैव ऊर्जा को भारत के सतत भविष्य की आधारशिला बनाने के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। 

उन्होंने जैव ऊर्जा क्षेत्र में भारत सरकार की कई योजनाओं पर प्रकाश डाला, जिनमें राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम, सतत, समर्थ मिशन, गोवर्धन आदि शामिल हैं और उपस्थित लोगों को बताया कि देश ने कई वर्ष पहले ही 20% इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया है।  

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव संतोष कुमार सारंगी ने इस कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से भाग लिया और जैव ऊर्जा के महत्व और विशेष रूप से भारत जैसे कृषि प्रधान देश में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया। उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्रों में विश्वसनीय ऊर्जा पहुँच और कार्बन तटस्थता के महत्व पर ज़ोर दिया, जो आधुनिक जैव ऊर्जा प्रौद्योगिकियों से संभव हो सकता है।   

आईआईटी रोपड़ के निदेशक प्रो. राजीव आहूजा ने स्थायी जैव-आधारित समाधान विकसित करने में अंतःविषय सहयोग, उद्योग-अकादमिक साझेदारी और वैज्ञानिक नवाचार की भूमिका पर ज़ोर दिया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि जैव-आधारित अर्थव्यवस्था भारत की डीकार्बोनाइज़ेशन रणनीति के केंद्र में होनी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे हाइड्रोजन-आधारित ऊर्जा अर्थव्यवस्था हरित ऊर्जा परिवर्तन को बढ़ावा दे सकती है और हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में बायोमास की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला।   

एसएसएस-एनआईबीई के महानिदेशक डॉ. जी. श्रीधर ने चार दिवसीय सम्मेलन की गतिविधियों और सत्रों की रूपरेखा प्रस्तुत की और गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने बायोगैस, बायो-सीएनजी, बायोहाइड्रोजन, बायोचार और बायोरिफाइनरी अनुसंधान में संस्थान की चल रही पहलों के बारे में भी बताया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आईसीआरएबीआर-2025 का उद्देश्य स्वच्छ, आत्मनिर्भर ऊर्जा भविष्य की दिशा में चर्चाओं और कार्रवाई में तेज़ी लाना है। 

उद्घाटन सत्र का समापन आईसीआरएबीआर 2025 के सह-अध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार शर्मा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिन्होंने माननीय राज्य मंत्री, अतिथियों, सभी प्रतिनिधियों, प्रतिभागियों और प्रायोजकों को उनके बहुमूल्य समय के लिए धन्यवाद दिया।  

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