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बाढ़ पीड़ित किसानों के खेत समतल करने के लिए रोज़ चल रहे हैं 8 घंटे ट्रैक्टटर .....

- 50 दिनों से संत सीचेवाल लगातार कर रहे हैं बाढ़ पीड़ितों की मदद   

- बाढ़ पीड़ितों के लिए किसी सांसद का रोज़ाना इतना समय देना अपने आप में एक मिसाल   

खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला    

बाऊपुर मंड क्षेत्र में बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल को आज 50 दिन पूरे हो गए हैं। बाऊपुर मंड क्षेत्र में किसानों द्वारा ब्यास दरया का पानी रोकने के लिए बनाया गया 32 किलोमीटर का घेरा 8 जगहों से टूट गया था। बांधों में अलग-अलग दरारों के कारण हुई तबाही का सही आकलन अब तक नहीं हो पाया है। लेकिन संत सीचेवाल पहले दिन यानी 11 अगस्त से ही बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद में जुटे हुए हैं।  

राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल रोज़ाना सुबह साढ़े 7 बजे से लेकर देर शाम साढ़े 7 बजे तक लगभग 12 घंटे अपनी सेवाएँ बाढ़ पीड़ितों को दे रहे हैं। वे हर रोज़ सुल्तानपुर लोधी से सीधा बाऊपुर मंड क्षेत्र पहुँचते हैं। पंजाब और अन्य राज्यों से खेत समतल करने आए ट्रैक्टरों की ड्यूटी बाँटते हैं और खुद भी कमर कसकर ट्रैक्टर पर बैठ जाते हैं। बाऊपुर मंड के गाँव भैणी कादर बख्श के चार किसानों की ज़मीन में बने 35 से 40 फुट गहरे टुए को भरने में संत सीचेवाल खुद लगे हुए हैं।  

“जागता पंजाब” के प्रधान राकेश शांति दूत ने कहा कि बाढ़ पीड़ितों के लिए देश के किसी सांसद द्वारा रोज़ाना इतना समय देना अपने आप में एक बेमिसाल उदाहरण है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन बनेगा। उन्होंने कहा कि अगर देश के सभी राजनीतिक नेता संत सीचेवाल की तरह काम करने लगें तो लोग राजनीति को गंदगी भरी सियासत कहना बंद कर देंगे।  

आज करीब 100 ट्रैक्टर उस टुए को भरने में लगे हुए हैं। यह गड्ढा इतना गहरा है कि पिछले 7 दिनों से रोज़ाना 100 ट्रैक्टर इसमें मिट्टी डाल रहे हैं। संत सीचेवाल ने 11 अगस्त से अब तक बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए ही सारा समय समर्पित किया हुआ है। उन्होंने इसके लिए अपना विदेश दौरा भी रद्द कर दिया था। भैणी कादर बख्श के बांध तक पहुँचने के लिए पहले ट्रैक्टर को पानी के भीतर ले जाना पड़ता था। इस काम के लिए वैकल्पिक रास्ता बनाया गया, जिससे ट्रैक्टरों की बांध तक पहुँच आसान हो गई।  

- बाऊपुर मंड क्षेत्र के लिए मसीहा बने संत सीचेवाल 

जिन किसानों की ज़मीन में यह गड्ढा भरा जा रहा है, उन्होंने कहा कि संत सीचेवाल उनके लिए मसीहा बनकर आए हैं। इतना गहरा और चौड़ा गड्ढा कौन भर सकता था। उनके 20 खेतों से भी रेत हटाई जा रही है। सांगरा गाँव के सरपंच कमरजीत सिंह ने बताया कि 30 दिनों तक संत सीचेवाल नाव द्वारा प्रसाद लाकर वितरित करते रहे। इतने गहरे पानी में जब कोई भी डेरे से बाहर निकलने में सक्षम नहीं था, तो उस मुश्किल घड़ी में सबसे पहले सुबह का खाना हर घर तक पहुँचाया जाता था। गाँव बाऊपुर के निवासी सतिंदर सिंह बग्गा ने बताया कि बाढ़ के दौरान संत सीचेवाल पहले दिन से ही इस इलाके के लिए मसीहा बनकर आए, जिन्होंने इंसानों से लेकर घरों में पाले गए पालतू कुत्तों और पशुओं के खाने-चारे तक की व्यवस्था की। 

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