संत सीचेवाल के प्रयासों से 24 साल से लेबनान में फंसा पंजाबी व्यक्ति लौटा वतन ...
- वतन लौटा व्यक्ति हुआ भावुक, बोलै यह उसका दूसरा जन्म
- पासपोर्ट न होने के कारण वापस लौटने की छोड़ी थी उम्मीद
- इंतजार करते-करते पहले मां और फिर भाई दुनिया को कह गए अलविदा
खबरनामा इंडिया ब्यूरो। कपूरथला
लेबनान में 24 साल से फंसे पंजाबी व्यक्ति ने वतन वापसी के बाद सबसे पहले राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल से मुलाकात कर उनका आभार जताया है। और भावुक हो कर कहा कि उसने तो वापसी की उम्मीद ही छोड़ दी थी। लेकिन संत सीचेवाल के प्रयास से वह अपने परिवार से मिला है। और यह उसका दूसरा जन्म है।
लेबनान में 24 साल से फंसे गुरतेज सिंह ने कहा कि ट्रैवल एजेंट ने उसे लेबनान भेजने के लिए एक लाख रुपये लिए थे। उस ज़माने में उसने यह एक लाख कैसे इकट्ठा किया, यह वह या उसका भगवान ही जनता। लुधियाना जिले के मत्तेवाड़ा गांव के रहने वाले गुरतेज सिंह 33 साल के थे जब वह 2001 में अपने दो छोटे बच्चों को छोड़कर विदेश चले गए।
लेबनान में रहने के दौरान 2006 में उनका पासपोर्ट खो गया, जिससे उनके लिए घर लौटना और भी मुश्किल हो गया। कई कोशिशों के बाद भी उनके लिए पासपोर्ट बनवाना मुश्किल हो रहा था क्योंकि पासपोर्ट बहुत पहले बना हुआ था। उन्होंने कहा कि जब इतनी कोशिशों के बाद भी उन्हें पासपोर्ट नहीं मिला तो उन्होंने वापसी की उम्मीद ही छोड़ दी थी।
संत बलबीर सिंह सीचेवाल से परिवार के सदस्यों ने संपर्क किया। जिन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए विदेश मंत्रालय से संपर्क किया और गुरतेज़ सिंह की वापसी को संभव बनाया। विदेशी धरती पर आजीविका कमाने और अपने परिवार के लिए बेहतर भविष्य बनाने के लिए लेबनान गए गुरतेज़ सिंह ने कहा कि संत सीचेवाल के प्रयासों से वह 24 साल बाद अपने गांव की मिट्टी को चूमने में सक्षम हुए हैं।
संत सीचेवाल का शुक्रिया अदा करने के लिए अपने परिवार सहित सुल्तानपुर लोधी आए गुरतेज सिंह ने आप बीती बताते हुए कहा कि विदेश जाने से पहले वह कोटियां-स्वेटर बनाने वाली फैक्ट्री में काम करते थे। जब घर में गुजारा करना मुश्किल हो गया तो उन्होंने विदेश जाने का मन बना लिया था। गुरतेज सिंह ने कहा कि लेबनान पहुंचना भी उनके लिए बड़ी चुनौती थी।
एजेंट उसे पहले जॉर्डन ले गया और फिर पड़ोसी देश सीरिया में भर्ती दाखल करवाया। वहां से डोंकी लगाकर लेबनान पहुंचे। उन्होंने कहा कि युद्ध जैसे माहौल में वहां रहकर काम करना उनके लिए बहुत मुश्किल था। सारा दिन खेतों में काम करना पड़ता था। छिपकर रहने के कारण ढुडकु हमेशा बनारहता था कि कहीं पकड़ा न जाए। किसी तरह जिंदगी अपने ढर्रे पर चलती रही और अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए उन्होंने खेतों में मेहनत-मजदूरी की।
गुरतेज़ ने कहा कि उन्हें पता ही नहीं चला कि उनका बेटे, जिसे उन्होंने 24 साल पहले जवान छोड़े थे, वे कब जवान हो गया। उन्होंने यह भी बताया कि इस दौरान उसके जवान हुए लड़को में एक लड़के की शादी हो गई थी और उनके घर एक बेटे का भी जन्म हुआ था। गुरतेज सिंह की आंखों में उस वक्त खुशी के आंसू आ गए जब उन्होंने बताया कि जब वह 24 साल बाद घर आए तो उनका पोता उनके पैरों से लिपट गया। गुरतेज़ ने कहा कि उनको सबसे बड़ा दुःख इस बात का है कि लेबनान में रहते हुए उसकी प्रतीक्षा में पहले उसने उसकी माँ के और फिर उसके भाई को खो दिया जिसको वो अंतिम बार देख भी नहीं पाया।
उन्होंने कहा कि उनके परिवार के सदस्यों ने इसके पहले कई नेताओं और अधिकारियों से संपर्क किया था लेकिन उनकी कोई नहीं सुन रहा था। गुरतेज ने कहा कि यह संत सीचेवाल जी का ही प्रयास था कि वह 24 साल बाद अपने परिवार से मिल पाए।
इस मौके पर मीडिया से बात करते हुए संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि यह पंजाबी युवक लंबे समय के बाद परिवार में लौटा है। उन्होंने कहा कि परिवार से दूर अजनबी देश में अजनबियों के साथ रहना एक बड़ी चुनौती थी। उन्होंने कहा कि पासपोर्ट काफी पुराना होने के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसके लिए उन्होंने विदेश मंत्रालय और खासकर भारतीय दूतावास के अधिकारियों को धन्यवाद दिया। जिन्होंने इस मामले को सहृदयता से लिया और इस पंजाबी युवक की भारत वापसी में हरसंभव मदद की।















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