संत सीचेवाल ने संसद में उठाया वाघा बॉर्डर खोलने का मुद्दा ....
- खेती को लाभकारी धंधा बनाने के लिए MSP की गारंटी वाला कानून बनाने की संत सीचेवाल ने की मांग
खबरनामा इंडिया ब्यूरो। पंजाब
राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने संसद में वाघा बॉर्डर खोलने की जोरदार मांग की और कहा कि अगर पंजाब के किसानों को आर्थिक मंदी से बाहर निकालना है तो वाघा बॉर्डर खोलना चाहिए। सिफ़र कल में किसानों की मांग उठाते हुए संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने पंजाबी कहावत से शुरुआत करते हुए कहा था कि एक समय खेती ही सबसे अच्छा व्यवसाय हुआ करती थी। लेकिन अब खेती फायदे का धंधा नहीं रही। इसीलिए पंजाब का युवा तेजी से यहाँ से प्रवास कर रहे है। जो किसान अपनी जमीन को अपनी मां से भी ज्यादा प्यार करता है, उसे जमीन छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। खेती लाभकारी व्यवसाय नहीं होने के कारण किसान और मजदूर आत्महत्या कर रहे हैं। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, देश में हर दिन 114 किसान, मजदूर और दिहाड़ी मजदूर आत्महत्या कर रहे हैं।
संत सीचेवाल ने सदन में मांग उठाई और कहा कि किसान आंदोलन के दौरान जो मांगें की गई थीं, उन्हें सरकार लागू नहीं कर रही है। अगर सरकार एमएसपी गारंटी कानून बना दे तो इससे किसानों को फायदा हो सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार हर साल 23 फसलों पर एमएसपी की घोषणा करती है, लेकिन गेहूं और धान को छोड़कर किसानों की फसल एमएसपी पर नहीं खरीदी जाती। सरकार ने मक्के की कीमत 1962 रुपये घोषित की थी, लेकिन किसानों से 800 से 1200 रुपये में ही मक्की खरीदी जा रही थी।
संत सीचेवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा किया और कहा कि उनके प्रयासों से करतारपुर कॉरिडोर खुला है। इसी तरह उन्होंने केंद्र सरकार से वाहगा बॉर्डर को भी खोलने की पुरजोर मांग की, जिससे किसानों को वहां फसल बेचने पर बड़ा फायदा होगा। वाहागा सीमा से होने वाले व्यापार से दोनों देशों के लोगों को फायदा होगा। हमारे किसानो का आलू ख़राब होना भी बंद हो जाएगा और उधर के लोगों को सस्ता आलू भी मिलेगा। वाहागा सीमा को हटाने से सिल्क रोड फिर से खुल जाएगा और हमारा व्यापार अफगानिस्तान से यूरोप तक बढ़ाया जा सकेगा।
संत सीचेवाल ने कहा कि भारत सरकार हर साल साढ़े 16 करोड़ की दालें विदेशों से मंगवाती है। लेकिन अगर वही दालें पंजाब में बीजी जाएं और उसकी खरीद की एमएसपी पर गारंटी हो तो पंजाब धान से मुक्त हो जाएगा। पराली की समस्या भी हल हो जाएगी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारा भूमिगत जल भी बचेगा। उन्होंने कहा कि युवा फिर से खेतों में काम करेंगे जैसे हमारे पूर्वज काम करते थे।
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