RCF कपूरथला दवारा 115 साल पुरानी अंग्रेजों की निशानी ट्वाय ट्र्रेन को दिया जा रहा नया रूप, कल होगी रवाना ...
- कालका-शिमला ट्रैक पर दौड़ने के लिए 4 सेमी-विस्टाडोम कोच हुए तैयार
- स्विजरलैंड में दौड़ने वाली ट्रेन को भी देंगे आरसीएफ में निर्मित कोच
खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला
ब्रिटिश शासन की "समर कैपिटल" शिमला की हसीन वादियों में दौड़ने वाली 115 साल पुरानी ट्वाय ट्रेन की निशानी को RCF कपूरथला में नया रूप देने का काम अंतिम चरण में है। जिन्हें कल शाम RCF प्रबंधन दवारा ट्रायल के लिए रवाना किया जा रहा है। ट्रायल के सफल परीक्षण के बाद बहुत जल्द नए स्विजरलैंड की ट्रेन को मात देते सेमी विस्टाडोम (पैनारोमिक) कोच शिमला के मनमोहक नजारों की छटा बिखेरती दौड़ेंगे।
बता दे कि अंग्रेज हकूमत के शासनकाल में 1908 में लाहौर पाकिस्तान में डिजाइन वाली ट्वाय ट्रेन ही कालका-शिमला ट्रैक के बीच दौड़ती आ रही है। अब RCF ने इसे आधुनिक रूप देने के लिए 4 नए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस कोच तैयार कर लिए हैं।
बता दे कि कालका-शिमला रेलवे को 2008 में यूनेस्को की ओर से वर्ल्ड हेरिटेज साइट में "माउंटेन रेलवे ऑफ इंडिया" के तौर पर सूचीबद्ध किया गया था। लेकिन अब तक कालका-शिमला ट्रैक के बीच 115 साल पुरानी डिजाइन वाली ट्वाय ट्रेन ही दौड़ती आ रही थी। भारतीय रेल की तरफ से RCF कपूरथला को अपनी आधुनिकीकरण की प्रतिष्ठित परियोजना सौंपी गई। लेकिन पाकिस्तान की लाहौर में डिजाइन की गई ट्वाय ट्रेन के लिए RCF के पास डिब्बों के विकास, जांच-परीक्षण के लिए नैरोगेज ट्रैक के मॉडलिंग हेतु कोई भी डाटा उपलब्ध नहीं था। फिर भी RCF ने अपनी उच्च कुशलता का बाखूबी इस्तेमाल करते हुए न केवल इसके डिजाइन के शैल जिग्स, लिफ्टिंग टैकल, स्टैटिक टेस्ट जिग्स, नैरोगेज लाइन, लोडिंग गेज सरीखे इंफ्रास्ट्रक्चर का इन-हाउस (आरसीएफ) निर्माण किया, बल्कि अब चार कोच तैयार कर ट्रायल के लिए कालका-शिमला रेलवे को सौंपने की तैयारी भी मुकम्मल कर ली है।
इन आधुनिक सुविधाओं से लैस कोच में एयर कंडीशनिंग सिस्टम, बिजली सप्लाई, पैंट्री, बायो-वैक्यूम टॉयलेट, लाइटिंग व फ्लोरिंग आदि के नए डिजाइन में कई महत्वपूर्ण काम किए गए है। जिससे यात्री इसमें बैठकर शिमला की हसीन वादियों का लुत्फ उठा सकेंगे। कोच में पावर विंडो की सुविधा दी गई और पैनारोमिक कोच में छत पर लगे शीशे को यात्री अपनी सुविधा अनुरूप धूप से बचाव के लिए ब्लर भी कर सकेंगे। सबसे अहम बात यह है कि इन कोच में AC डिब्बे भी शुमार रहेंगे, जबकि पहले से दौड़ रही ट्वाय ट्रेन में यह सुविधा नहीं है।
प्रशासन से मिली जानकारी अनुसार RCF कालका-शिमला ट्रैक के लिए कुल 30 अत्याधुनिक नैरोगेज पैरानोमि कोच का निर्माण करेगा। इनमें 12 सीटों वाले 06 फर्स्ट श्रेणी एसी चेयर कार, 24 सीटों वाले 06 एसी चेयर कार, 30 सीटों वाले 13 नॉन एसी चेयर कार और 05 पावर-कम-लगेज वैन का निर्माण करेगा।
यह डिब्बे अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होंगे। इनमें अपग्रेडेड बोगियों और बेहतर ब्रेक सिस्टम के साथ हल्के वजन शैल का शामिल है। इनमें पैनारेमिक वाइडव्यू विंडो, सीसीटीवी व फायर अलार्म जैसी आधुनिक सुरक्षा सुविधाएं होंगी। शोर व वाइब्रेशन प्रूफिंग से लैस खूबसूरत इंटीरियर, एंटी अल्ट्रा वायलेट कोटेड विंडेा ग्लास, उच्च श्रेणी के कोच में पावर विंडो और डोर, हीटिंग-कूलिंग पैकेज एसी, लीनियर कंसील्ड पंखे, लीनियर एलईडी लाइट्स, फि्लप बैंक के साथ मॉड्यूलर सीटिंग रेल माउंटेड सीटें, एग्जीक्यूटिव क्लास के लिए लग्जरी सीटों के साथ रेस्टोरेंट सीटिंग, ऑन बोर्ड मिनी पैंट्री, लगेज बिन, इंटर कार गैंगवे (वेस्टिबुल) आदि सुविधाएं सफर को बेहद खास बनाएंगी। हर रैक (ट्रेन) में छह यात्री कोच और एक पावर-कम-लगेज कोच वैन सहित सात कोच शामिल होंगे।)
RCF के PRO जितेश कुमार ने बताया कि कोच शैल का ट्रायल परीक्षण पास होने के बाद 4 एसी एग्जीक्यूटिव चेयर कार, AC चेयर कार, नॉन AC चेयर कार व पावर-कम-लगेज कोच ट्रायल के लिए तैयार हैं। जिन्हें कल सोमवार को रवाना किया जाएगा।















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