साहिबजादों ने धर्म और राष्ट्र को सर्वोपरि मानते हुए अपने साहस का लोहा मनवाया -- खोजेवाल
- भाजपा नेताओ ने गुरुद्वारा नीम वाला चौंक में मनाया वीर बाल दिवस
खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला
गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों की याद में भाजपा नेताओ द्वारा आज गुरुद्वारा नीम वाला चौंक में अरदास व पाठ का आयोजन करवाया गया। दोनों साहिबजादों के चित्रों पर पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया गया। पार्षद व मंडल भाजपा अध्यक्ष अनुराग मानखंड की अध्यक्षता में आयोजित वीर बाल दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिलाध्क्षय रणजीत सिंह खोजेवाल पहुंचे है।
उन्होंने वीर बाल दिवस पर गुरु गोविंद सिंह के दो साहिबजादों के बलिदान को नमन किया। उन्होंने कहा कि बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह ने धर्म की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया था। हम सभी को ऐसे वीर बालकों के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
खोजेवाल ने कहा चिड़ियों से मैं बाज लड़ाऊं, गीदड़ों को मैं शेर बनाऊं, सवा लाख से एक लड़ाऊं, तभी गोविंद सिंह नाम कहाऊं। गुरू गोविंद सिंह का यह कथन ना सिर्फ उनके लिए बल्कि उनके पुत्रों के जीवन का भी परिचय करवाता है, जिन्होंने कम उम्र में बलिदान की एक ऐसी इबारत लिखी। जिसे भूलाया नहीं जा सकता। उन्होंने धर्म और राष्ट्र को सर्वोपरि मानते हुए अपने साहस का लोहा मनवाया। गर्दन कटा दी लेकिन कभी सिर नहीं झुकाया। उनकी इसी शहादत को याद दिलाता है वीर बाल दिवस। उन्होंने प्रधानमंत्री नरिंदर मोदी के प्रयासों से सिखों के दसवें और अंतिम गुरू गोविंद सिंह के पुत्रों के साहस और शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाया जाने लगा है।
इस अवसर पर पार्षद व मंडल भाजपा अध्यक्ष अनुराग मानखंड ने बताया कि वीर बाल दिवस पर साहिबजादों और माता गुजरी के साहस को याद करते हैं। साथ ही गुरू गोविंद सिंह के दिखाए गए साहस के मार्ग पर चलने का संकल्प भी लेते हैं। दशमेश पिता गुरू गोविंद सिंह को सरबंसदानी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने पूरे वंश को धर्म और देश की रक्षा के लिए कुर्बान कर दिया था। मानखंड ने कहा कि भाजपा द्वारा आज पूरे देश में वीर बाल दिवस मनाया जा रहा है। आज ही के दिन गुरु गोविंद सिंह जी के दो पुत्र धर्म एवं राष्ट्र की रक्षा के लिए शहीद हो गये थेऔर हमें गर्व है कि वह भारत के सपूत थे।
उन्होंने कहा कि शहीद होने वाले दोनों वीर बालकों की गाथा सुनकर सभी के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। दो वीर बालकों द्वारा देश एवं धर्म की रक्षा के लिए शहीद हो गए थे और इनकी उम्र मात्र छह एवं नौ वर्ष थी। उन्होंने कहा कि इन वीर बालकों की गाथा देश कभी भुला नहीं पायेगा।
इस अवसर पर भलभद्रसेन दुग्गल,तेजस्वी भरद्वाज,राजीव पाहवा, बीरा राम बलजोत,आशु सांपला, बलविंदर ठाकुर,महिंदर थापर,महेश बंगा,आशु पूरी,राज कुमार गुप्ता,राज कुमार राणा,विशाल वालिया,संदीप वर्मा, हरविंदर शर्मा, लोकेश बाली, रंजीत सिंह पड्डा, राजिंदर सोंधी, मोहित अरोड़ा, राम सांपला, मनीष खोसला, रजनी, बाला, भारती शर्मा, रीना खोसला, सीमा, सुरेखा कौड़ा, सलोनी जैन आदि उपस्थित थे।
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