यूक्रेन में युद्ध से 8 महीने बाद लौटे युवक ने किए चौंकाने वाले खुलासे ....
- रूसी सेना में अभी भी 25 से अधिक भर्ती भारतीय जबरन जंग लड़ने के लिए मजबूर
- संत सीचेवाल से रूसी सेना में फंसे युवकों के परिजनों ने लगाई वापसी की गुहार
खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला
राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल के प्रयासों से रूस और यूक्रेन के युद्ध से 8 महीने बाद लौटे युवाक ने कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। वहां यूक्रेन के ड्रोन हमले में उनका एक साथी मारा भी गया। लेकिन उसकी जान इसलिए बच गई क्योंकि वह ड्रोन देखते ही बंकर में कूद गया था। इसी तरह एक अन्य घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 17 जून 2024 को वहां उनके एक सहकर्मी की ग्रेनेड विस्फोट से मौत हो गई थी।
यूक्रेन से लौटे राकेश यादव ने कहा कि आश्चर्य यह था कि रूसी सेना में शहीद हुए उनके साथी की मौत की खबर उनके परिवार को 6 महीने बाद रूसी अधिकारियों ने दी। रूस से लौटे नरेश यादव और पांच परिवार निर्मल कुटिया सुल्तानपुर लोधी पहुंचे है। जिनके बच्चे अभी भी वहीं फंसे हुए हैं और अभी भी लापता हैं। संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने परिवारों को आश्वासन दिया कि वह इस मामले को विदेश मंत्रालय तक ले जाएंगे और संसद के चालू सत्र में इस मामले को उठाने का प्रयास करेंगे।
रूस से लौटे राकेश यादव ने मिडिया को बताया कि उन्हें और उनके साथ 5 अन्य साथियों को एजेंट ने 8 महीने पहले होम गार्ड की नौकरी के लिए वहां बुलाया था। लेकिन जैसे ही वह वहां पहुंचे, उन्हें जबरन रूसी सेना में भर्ती करवा दिया गया। उनसे रूसी भाषा में एक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर भी करवाए गए। बार-बार मना करने पर वहां उसकी पिटाई की गई। उन्होंने बताया कि 15 दिनों की हथियार ट्रेनिंग के बाद उन्हें रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में झोंक दिया गया। उन्होंने कहा कि युद्ध के दौरान वहां हालात काफी बदतर थे। उन्होंने कहा कि युद्ध के मैदान में कई बार गोलीबारी और बम विस्फोट हुए, वहां बम विस्फोट में उनका हाथ भी जख्मी हो गया था।
राकेश यादव के साथ पंजाब, पुणे, कश्मीर और यूपी के 5 अन्य परिवार भी थे। निर्मल कुटिया पहुंचे इन परिवारों ने संत सीचेवाल को पत्र सौंपकर रूसी सेना में फंसे अपने बच्चों की वापसी के लिए मदद की गुहार लगाई। पंजाब से रूसी सेना में फंसे दिव्यांग मनदीप के भाई जगदीप ने बताया कि तीन मार्च के बाद से उनकी मनदीप से कोई बातचीत नहीं हुई है। वहीं, यूपी से आए कन्हैया कुमार और दीपक के परिजनों ने बताया कि ग्रेनेड फटने से युद्ध के मैदान में कन्हैया और दीपक घायल हो गए थे। परिजनों ने बताया कि जून माह के बाद उनके बीच कोई बातचीत नहीं हुई।
आये परिवारों में से संत सीचेवाल से पहले मिल चुके परिवारों ने कहा कि संत सीचेवाल पहले ही इस मुद्दे को विदेश मंत्री के ध्यान में ला चुके हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की मदद से कुछ लोगों की वापसी ने उनके मन में मर चुकी उम्मीद को फिर से जगा दिया था, लेकिन कुझ लोगों के आने के बाद से इस मामले में कोई अन्य कार्रवाई नहीं होने के कारण उनकी आशा टूट रही है और वे फिर से उसी जगह पर आ गये हैं।
पत्रकारों से बातचीत के बाद संत सीचेवाल ने भारत सरकार और खासकर विदेश मंत्री जयशंकर का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि इस संबंध में पहला मामला उनके ध्यान में मार्च 2024 के दौरान पंजाब के रहने वाले गुरप्रीत और उनके साथ रूसी सेना में फंसे उनके 8 अन्य साथियों का आया था। जो विदेश मंत्रालय के सहयोग से अगस्त-सतंबर माह के दौरान वापस आये। उन्होंने भारत सरकार और विदेश मंत्रालय से भारतीयों को जल्द से जल्द वापस लाने, इस गिरोह में शामिल एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और युवाओं को उनके हक की कमाई दिलाने की अपील की।
- मौत के मुंह से कम नहीं थी रूस-यूक्रेन की रणभूमि -- यादव
युद्ध के मैदान में बमबारी के दौरान जब राकेश यादव ने कई बार मौत की आंखों में देखा तो वह भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि एक बार तो उन्हें लगा कि सब कुछ खत्म हो गया है और वह कभी वापस नहीं जा पाएंगे। वहां के हालात देखकर उन्होंने एक बार तो वहां खुद को मारने की भी कोशिश की थी। उन्होंने कहा कि वहां हमेशा मौत का खतरा बना रहता है। नम आंखों से उन्होंने भारत सरकार और संत सीचेवाल का सच्चे दिल से शुक्रिया अदा किया जिनके सहयोग से वह फिर से अपने परिवार के पास सुरक्षित पहुंच पाए।
- दुष्ट एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की ....
राकेश यादव ने कहा कि उनके ज़बरन बैंक में एजेंटों द्वारा खाते खोले गए थे, जिनके पिन कोड भी उनके एजेंटों के पास थे। उन्होंने बताया कि एजेंटों ने उनके खाते से करीब 45 लाख रुपये निकाल लिए, जो उन्हें सेना में जीवनयापन वेतन और चोट के दौरान सरकार द्वारा दिए गए मुआवजे के रूप में मिले थे। उन्होंने कहा कि ऐसा सिर्फ उनके साथ ही नहीं बल्कि सेना में काम करने वाले सभी भारतीयों के साथ एजेंटों ने किया है।
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