मजदूर दिवस रोजाना सिर्फ 8 घंटे काम का आंदोलन --- महासचिव
- साल 2016 में भारत के 80 लाख लोग आधुनिक गुलामी में जी रहे थे
खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला
RCF मेंस यूनियन द्वारा कारखाने के मुख्य गेट पर मई दिवस के शहीदों को लाल झंडा चढ़ाकर पुष्प अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि भेंट की गई। इस अवसर पर एकत्रित हुए कर्मचारियों के समूह को संबोधित करते हुए यूनियन के महासचिव तालिब मोहम्मद ने कहा कि श्रमिक दिवस या मजदूर दिवस रोजाना सिर्फ 8 घंटे काम करने का आंदोलन है। जिसे मनाने की परंपरा 132 सालों से चली आ रही है।
उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे ज्यादा बंधुवा मजदूर भारत में है विश्व गुलामी सूचकांक की रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में भारत के 80 लाख लोग आधुनिक गुलामी में जी रहे थे। सरकार के आंकड़ों के अनुसार 93% मजदूर है जो असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे हैं। जिन्हें न्यूनतम मजदूरी जैसी सुरक्षा भी हासिल नहीं है।
1889 में पेरिस सम्मेलन में मजदूरों के हकों की आवाज को बुलंद करने के लिए 1मई का दिन चुना गया था। 1 अक्टूबर 1884 में अमेरिका में कनाडा की ट्रेड यूनियन के संगठन फेडरेशन ने 8 घंटे काम करने की मांग उठाई थी।
1 मई 1886 को अमेरिका की मजदूर यूनियनों ने काम का समय 8 घंटे से अधिक रखे जाने के खिलाफ हड़ताल की। हड़ताल के दौरान शिकागो शहर की हे मार्केट में एक बम धमाका हुआ और उसके बाद निहत्थे कामगारों को उसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए वहां की पुलिस एवं सरकार ने मजदूरों के ऊपर गोली चलवा दी, जिससे हजारों की संख्या में मजदूर शहीद हुए लेकिन आंदोलन निरंतर चलता रहा और अंततः वहां की सरकारों को काम के 8 घंटे तय करने पर समझौता करना पड़ा, जिसके कारण आज सभी मजदूर चाहे वह असंगठित क्षेत्र के मजदूर हो चाहे संगठित क्षेत्र के मजदूर हो 8 घंटे काम की ड्यूटी का आनंद ले रहे हैं।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आज समय की एक जरूरत है की सभी मजदूर संगठन मिलकर एक प्लेटफार्म पर आए और भारत में बढ़ रही बेरोजगारी की समस्या के लिए एक मजबूत लड़ाई भारत सरकार के खिलाफ लडे ।उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब यह कारखाना पंजाब में लगाया गया था तो यहां के लोगों से यह वादा किया गया था कि यहां पर 10000 कर्मचारी की भर्ती होगी लेकिन वह वादा भी सरकारों ने पूरा नहीं किया और आज की वर्तमान स्थिति तो यह हो गई है कि यहां पर केवल मात्र काम करने वाले कर्मचारी 2500 से 3000 ही रह गए हैं।
उन्होंने कहा कि यह तभी संभव हो सकता है कि पंजाब की जितने भी श्रमिक जत्थे बंदिया है वह इकट्ठे होकर एक लड़ाई लड़े कि बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध करवाया जाए। न कि छोटी-छोटी बातों को लेकर हम आपस में ही लड़ते झगड़ते रह जाए और सरकार जैसे इसका फायदा उठा रही है वैसे ही उठती रहे और एक दिन पता लगे कि हमारे कारखाने में केवल ठेकेदार की लेबर ही काम कर रही है। इस अवसर पर यूनियन के तमाम ऑफिस बीयर्स एवं सभी पदाधिकारी गण एवं कर्मठ कार्यकर्ता मौजूद थे।
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