ब्रेकिंग न्यूज़

रिकॉर्ड उत्पादन करने वाली कपूरथला RCF में पेंट नहीं होने से उत्पादन रुका -- RCFEU

- इपोक्सी पेंट की कुछ सपलाई निम्न स्तर की होने के चलते रिजेक्ट की गई थी जिस कारण यह दिक्कत आई --- CPRO 

- RCF में प्रशासनिक लापरवाही और केंद्र सरकार की उदासीनता से उत्पादन व्यवस्था चरमराई - RCFEU 

खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला    

राजधानी एक्सप्रेस, वंदे भारत, अमृत भारत सहित देश के प्रतिष्ठित ट्रेनों के कोच निर्माण में अग्रणी रेल कोच फैक्ट्री (आरसीएफ) आज अपने इतिहास के सबसे गंभीर संकट का सामना कर रही है। जहां एक ओर केंद्र सरकार 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' के नारे दे रही है, वहीं दूसरी ओर RCF प्रशासन और रेल मंत्रालय की लापरवाही के कारण फैक्ट्री में कोचों में लगने वाली मैटेरियल जो बाहर ट्रेड से आती है, की भारी कमी से उत्पादन प्रक्रिया ठप्प होने के कगार पर पहुंच गई है। विडंबना यह है कि जिस वर्ष हमने रिकॉर्ड उत्पादन का दावा किया, उसी वर्ष प्रशासन ने सामग्री प्रबंधन की सभी मूलभूत व्यवस्थाओं को नजरअंदाज कर दिया। 

वहीँ दूसरी तरफ आरसीएफ के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अनुज कुमार का कहना है कि इपोक्सी पेंट की कुछ सप्लाई को निम्न गुणवत्ता के कारन रिजेक्ट किया था। उनके अनुसार यह एक सामान्य प्रक्रिया है।  क्योंकि फैक्ट्री गुणवत्ता को प्राथमिकता देती है। उन्होंने यह भी बताया कि इस समस्या का समाधान जल्द ही कर दिया जायगा। इससे मासिक उत्पादन के टारगेट पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।   

यूनियन नेताओ ने बताया कि कोच शैल को ईपॉक्सी पेंट करके ही फर्निशिंग में भेजा जाता है, लेकिन 02 अप्रैल से पेंट शॉप के एक सेक्शन का काम ईपॉक्सी पेंट और प्राइमर ना होने की वजह से बंद हो चुका है तथा इसी तरह 04 अप्रैल तक बाकी के सेक्शन भी बंद होने की कगार पर है। ईपॉक्सी पेंट तथा प्राइमर ना होने की वजह से किसी भी कोच को पेंट नहीं हो पा रहा जिसके चलते शॉप का उत्पादन एक तरह से तप हो चुका है। 

इसी तरह पिछले एक वर्ष से आरसीएफ प्रशासन द्वारा मैटेरियल की आपूर्ति को लेकर की गई लापरवाही न केवल फैक्ट्री के कर्मचारियों के साथ धोखा है, बल्कि भारत सरकार की 'डबल इंजन सरकार' के दावों की पोल भी खोलती है। जबकि केंद्र सरकार अपने भाषणों में रेलवे के आधुनिकीकरण पर जोर दे रही है, तब उसके अपने ही प्रशासनिक अधिकारी मूलभूत आपूर्ति श्रृंखला को सुचारू रूप से चलाने में विफल रहे हैं। यह स्थिति स्पष्ट करती है कि सरकार की नीतियां केवल कागजों तक ही सीमित हैं, जबकि जमीनी स्तर पर उनका क्रियान्वयन पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है।  

आरसीएफ एम्पलाइज यूनियन के महासचिव सर्वजीत सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि "यदि अगले 48 घंटे में पेंट, प्राइमर सहित सभी आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति नहीं हुई और प्रशासन ने इस संकट से निपटने के लिए ठोस कार्ययोजना नहीं बनाई, तो यूनियन को आउटसोर्सिंग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का रास्ता अपनाना पड़ेगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी आरसीएफ प्रशासन और केंद्र सरकार पर होगी। हम स्पष्ट रूप से कहना चाहते हैं कि जब तक कर्मचारियों को नियमित रूप से काम नहीं मिलेगा, तब तक ठेकेदारी व्यवस्था के तहत कोई भी कार्य नहीं होने दिया जाएगा।"  

उन्होंने कहा कि यूनियन की ओर से स्पष्ट रूप से मांग की जाती है कि तत्काल प्रभाव से पेंट और प्राइमर सहित सभी आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए, साथ ही भविष्य में इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए एक स्थायी योजना बनाई जाए। प्रशासन को यह समझना होगा कि बिना सामग्री के न तो 'आत्मनिर्भर भारत' का सपना पूरा हो सकता है और न ही 'मेक इन इंडिया' का। यूनियन स्पष्ट रूप से कहती है कि यदि इस संकट का तुरंत समाधान नहीं हुआ तो कर्मचारियों को अपने हक की लड़ाई के लिए कड़े कदम उठाने होंगे, जिसकी सामाजिक और आर्थिक जिम्मेदारी पूरी तरह से प्रशासन और केंद्र सरकार पर होगी। 

No comments