रेल कोच फैक्ट्री में सामग्री की कमी से उत्पादन अस्त-व्यस्त .....
- वर्ष के अंत में सामग्री न मिलना प्रशासन की गहरी साजिश का हिस्सा -- सर्वजीत सिंह
- यदि समय पर सामग्री की आपूर्ति नहीं की गई तो हम आंदोलन करेंगे -- अमरीक सिंह
खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला
उत्पादन वर्ष की शुरुआत (अप्रैल-मई) में सामग्री की कमी होना तो सबने देखा और सुना है। उस समय प्रशासन की दलीलें कुछ हद तक समझ में आ सकती हैं। लेकिन उत्पादन वर्ष के अंतिम महीनों में, जब कोच उत्पादन लक्ष्य को पूरा करने का दबाव सबसे अधिक होता है, सामग्री की कमी होना असामान्य है। वर्कशॉप में प्रत्येक ग्रुप में मुख्य सामग्री की भारी कमी या हैंड टू माउथ की स्थिति है। इस संबंध में RCF के उच्च अधिकारियों के रवैये को देखते हुए, इसमें गहरी साजिश की गंध आ रही है। यह बात आरसीएफ एम्प्लाईज यूनियन के महासचिव सर्वजीत सिंह ने कही है।
सर्वजीत सिंह ने कहा कि कोच उत्पादन में उपयोग होने वाली बहुत सारी मुख्य आइटम्स, जैसे ग्रुप नंबर एक में कारलाइन, फुट स्टेप ब्रैकेट, साइड वॉल पिलर, सेट ऑफ रिंग एंड ग्रील, LSCN कोच के फैन ब्रैकेट, ग्रुप नंबर चार में लेबोरेटरी मॉड्यूल, सीट और बर्थ, LDD की बोगी, ग्रुप नंबर 5 में ट्रैक्शन लीवर, बोगी स्प्रिंग, कंट्रोल आर्म, इलेक्ट्रिकल के कई सामान आदि न मिलने के कारण, हमारे कर्मचारी साथियों को काम नहीं मिल पा रहा है। उन्हें दूसरे सेक्शनों में भेजा जा रहा है। कई सेक्शन तो एक सप्ताह तक भी बंद रह रहे हैं! लेकिन अधिकारी मजे के साथ घूम रहे हैं, जैसे उन्हें कोई चिंता ही नहीं है कि कोच उत्पादन लक्ष्य कैसे पूरा होगा।
वर्ष 2024-25 के उत्पादन लक्ष्य के अनुसार आरसीएफ प्रशासन कोच बनाने में पहले ही काफी पिछड़ चुका है (कुल लक्ष्य 2177, 31 जनवरी 2025 तक 1745 बने, बैलेंस-432)। प्रशासनिक नाकामी के चलते कोच लक्ष्य पूरा करने के लिए बड़े ही खतरनाक हालात पैदा हो चुके हैं! सर्वजीत सिंह ने कहा कि मौजूदा उत्पादन लक्ष्य में एक ही तरह के 70-80% LDD कोच वैरायटी होना भी सामग्री की कमी का प्रमुख कारण है। एक कोच वैरायटी की नीति आरसीएफ के लिए खतरनाक साबित हो रही है, क्योंकि अगर किसी एक भी फर्म से सामग्री की सप्लाई चेन बाधित होती है तो उसका असर पूरी प्रोडक्शन पर पड़ता है। अगर एक छोटी सी आइटम भी नहीं आई तो पूरा कोच का उत्पादन रुक जाता है।
RCF प्रशासन द्वारा सामग्री की कमी की आड़ में घटिया क्वालिटी की सामग्री कोच में लगाई जा रही है। यदि कोई कोच पांच दिन तक क्वालिटी चेकअप के लिए फंसा रहता है, तो यह स्पष्ट है कि उसमें कितना घटिया सामान इस्तेमाल किया गया होगा। आरसीएफ के कुछ अधिकारियों की प्राइवेट कंपनियों से आने वाले सामान के कारण, रिजेक्टेड सामग्री भी कोच में पास हो रही है।
RCFEU के अध्यक्ष अमरीक सिंह ने कहा कि रेलवे बोर्ड और केंद्र सरकार की पूंजीवादी नीतियों के तहत, कोच उत्पादन के लक्ष्य में हर साल बढ़ोतरी की जा रही है, ताकि ठेकेदारी, आउटसोर्सिंग और निजीकरण के जरिए इस कार्य को निजी हाथों में सौंपा जा सके। आरसीएफ के उच्च अधिकारी भी इस साजिश में शामिल हैं, जो सामग्री की कमी की आड़ में यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डालकर अपनी जेबें भरने की कोशिश कर रहे हैं। यह एक बहु-पक्षीय साजिश है, जिसमें कंपनियों, सप्लायरों और ठेकेदारों का सिंडिकेट अधिकारियों के साथ मिलकर रिजेक्टेड सामग्री को लगाने के लिए सप्लाई चेन को बार-बार तोड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि आरसीएफ एम्प्लाईज यूनियन आरसीएफ के उच्च अधिकारियों को स्पष्ट तौर पर आगाह करती है कि तुरंत सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। इस संबंध में यदि भविष्य में औद्योगिक संबंध खराब होते हैं, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी आरसीएफ के उच्च अधिकारियों की होगी।
समान की कमी के कारण अस्त-व्यस्त हो रहे कोच उत्पादन तथा कर्मचारियों की अन्य समस्याओं पर विचार करने के लिए आरसीएफ एम्पलाइज यूनियन की कार्यकारिणी की बैठक आज हुई।
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