पंजाबी साहित्यकार सुरजीत पातर का इस तरह चले जाना दुखी कर गया - RCFEU
- सभी कर्मिओ ने नम आँखों से उनको श्रद्धा के पुष्प अर्पित किये
खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला
पंजाबी कविता के बेताज बादशाह डॉ. सुरजीत पातर नहीं रहे, यह खबर सोशल मीडिया पर चलती देख अचानक माथे पर पत्थर लगने जैसी महसूस हुई। और दिल ने कहा कि यह खबर झूठी निकले। लेकिन ऐसी खबरें झूठी कहां होती हैं? यह शब्द मशहूर पंजाबी कवी सुरजीत पातर के देहांत की खबर पर पर्तिकिर्या देते हुए RCF में समूह कर्मिओ ने कहे है और उनकी आत्मिक शांति के लिए दो मिनट का मौन रख प्रर्थना भी की है।
RCFEU नेताओ ने कहा कि जाना तो सबको है, लेकिन डॉ. सुरजीत पातर जी के शांत और सहज स्वभाव से दुनिया से चले जाने से मन को झकझोर दिया है। पंजाबी मातृभाषा के सुप्रसिद्ध कवि, पंजाबियत के पैरोकार, हमेशा आम लोगों और संघर्षरत लोगों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण और चिंतित रहे हैं और उनके विचारों और भावनाओं को आवाज देते रहे हैं।
"कुज़ किहा तो हनेरा जरेगा किवें", "दिल ही उदास है जी बाकी सब खैर ए", "मैं राहां ते नहीं चलता, मैं चलदां हां तां राह बणदे", "हम अब लौट नहीं सकते" जैसी कई उत्कृष्ट कृतियों के कवि खामोश हो गए हैं लेकिन उनके लिखे व बोले गए शब्द इस धरती के लोगों के दिलों में खुशबू फैलाते रहेंगे, संघर्षरत लोगों को प्रेरित करते रहेंगे। डॉ सुरजीत पातर हमारे और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेंगे।
उनको श्रद्धांजलि देने में इंडियन रेलवे एम्प्लाईज फेडरेशन, फ्रंट अगेंस्ट एनपीएस इन रेलवे, आरसीएफ एम्पलाईज यूनियन, शहीद भगत सिंह विचार मंच, रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला के सभी कर्मी उनके असामयिक निधन पर बहुत उदास हैं। सभी ने कहा कि हम दिल से उन्हें श्रद्धा के पुष्प अर्पित करते हैं।
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