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पुष्पा गुजराल साइंस सिटी में बौद्धिक संपदा पर संगोष्ठी ....

- रचनात्मकता और नवाचार की सुरक्षा बौद्धिक संपदा की अहम भूमिका  

खबरनामा इंडिया बबलू। कपूरथला    

पुष्पा गुजराल साइंस सिटी की तरफ से विश्व बौद्धिक संपदा अधिकार दिवस के संबंध में इस बार शीर्षक संगीतिक धुनों के लिए बौद्धिक संपदा विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया गया। बौद्धिक संपदा अधिकार का इस साल का विषय म्यूजिक इंडस्ट्री में रचनात्मकता और नवाचार के लिए बौद्धिक संपदा की महत्वता पर प्रकाश डालता है। इस सेमिनार में विभिन्न शैक्षिक संस्थानों के 200 से अधिक छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया ।

इस मौके पर साइंस सिटी के निदेशक डॉ. राजेश ग्रोवर द्वारा अपने संबोधन में आज के तेजी से बदल रहे विश्व स्तर पर अर्थशास्त्र में युग्तों और सृजनात्मकता की महत्ता पर जोर दिया गया। उन्होंने कहा कि बौद्धिक संपदा का अधिकार एक ऐसा अधिकार है, जिसके अनुसार अनुमति के बिना कोई भी व्यक्ति आपके विचारों की संपत्ति की नकल नहीं कर सकता और न ही उसका उपयोग किया जा सकता है। यह अधिकार आपके विचारों और विद्याओं के लिए सुरक्षा कवच का कार्य करता है।  

उन्होंने कहा कि बौद्धिक संपदा आर्थिक विकास और नवाचार को आगे बढ़ाने के साथ-साथ विश्वव्यापी प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने के लिए एक कुंजी के रूप में जाना जाता है। इस मौके पर उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि बौद्धिक संपदा के अधिकार के माध्यम से कैसे ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, पेटेंट और वाणिज्य के भेदों की सुरक्षा की जा सकती है, इसके अलावा निवेश और औद्योगिक प्रगति के लिए बौद्धिक संपत्ति एक मूल आवश्यकता है ।

डॉ. बलविंदर सिंह सूच, निदेशक उद्यमिता, नवाचार और करियर हब पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला ने इस मौके पर संगीत उद्योग में रचनात्मकता और नवाचार के लिए बौद्धिक संपदा के महत्व से विद्यार्थियों को अवगत कराया और आज के डिजिटल युग में संगीत उद्योग में हो रहे विकास पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। उन्होंने बताया कि इस बार का शीर्षक इंटरनेट और सोशल मीडियाओं के दौर में संगीतकारों और सर्जनहारों को सशक्त बनाने पर आधारित है।  

इस अवसर पर डॉ. सूच ने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी में बौद्धिक संपदाओं के रूप और सार्थकता के बारे में बहुत दिलचस्प तरीके से विद्यार्थियों को समझाया। इस मौके पर विद्यार्थियों को कॉपीराइट, पेटेंट, औद्योगिक डिजाइन, ट्रेडमार्क और भूगोलिक संकेतों आदि को दर्ज कराने संबंधी विस्तृत जानकारी दी गई और बौद्धिक संपदा पहलू पर विद्यार्थियों और शिक्षकों को जागरूक किया गया। 

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